शुक्रवार 31 अक्तूबर 2025 - 21:28
हज़रत ज़हरा (स) और हज़रत ज़ैनब (स) की सीरत उम्मत ए मुस्लेमा के लिए सब्र, ईमान और विलायत का दर्स हैः डॉ ज़ियाई निया

हौज़ा /भारत के सहारनपुर में हज़रत ज़ैनब‑ए‑कुबरा (स) की पैदाइश की खुशी में आयोजित सेमिनार और कार्यक्रम “शरीक़त‑उल‑हुसैन (स)” में भाषण देते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉ. ज़ियाई निया ने कहा कि हज़रत ज़हरा (स) और हज़रत ज़ैनब (स) की ज़िंदगी दो उज्ज्वल मीनारों की तरह हैं, जिन्होंने विलायत की सुरक्षा के लिए त्याग और धैर्य की ऐसी मिसालें पेश कीं जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सहारनपुर (भारत): हज़रत ज़ैनब‑ए‑कुबरा (स) की पैदाइश की खुशी में “शरीक़त‑उल‑हुसैन (स)” शीर्षक से एक धार्मिक‑सांस्कृतिक सेमिनार आयोजित किया गया। इस पवित्र आयोजन में 30 से अधिक उलेमा‑ए- इकराम, हौज़ा‑ए‑इल्मिया के छात्रों, तथा जामेआ‑ए‑क़ुरआन व इतरत साहारनपुर के विद्यार्थी और शिक्षकों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में हुज्जतुल इस्लाम वाल‑मुस्लिमीन डॉ. ज़ियाई निया ने भाग लिया, जो भारत में वली‑ए‑फक़ीह के प्रतिनिधि डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही की ओर से सम्मलेन में उपस्थित हुए थे।

डॉ. ज़ियाई निया ने अपने संबोधन की शुरुआत कुरआन की आयत إِنَّ الَّذِينَ قَالُوا رَبُّنَا اللهُ ثُمَّ اسْتَقَامُوا تَتَنَزَّلُ عَلَيْهِمُ الْمَلَائِكَةُ... से करते हुए कहा कि इमान वालों के लिए “इस्तेक़ामत” वह सीढ़ी है जो उन्हें अल्लाह की ग़ैबी मदद तक पहुंचाती है।

उन्होंने जंगे बद्र के प्रेरणादायक प्रसंगों और फ़रिश्तों की सहायता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मदद आज भी उन सच्चे ईमान वालों को मिलती है जो विलायत (इमामों की राह) पर सब्र और ख़ुलूस से चलते हैं।

अपने प्रेरक भाषण में उन्होंने हज़रत ज़हरा (स) और हज़रत ज़ैनब (स) की पवित्र सैरत में समानता पर चर्चा करते हुए कहा कि “दोनों महान महिलाओं ने विलायत की रक्षा के लिए असीम क़ुर्बानियाँ दीं।”

हज़रत ज़हरा (स) ने अमीरुल‑मोमिनीन इमाम अली (अ) के समर्थन में जान न्योछावर की, जबकि हज़रत ज़ैनब (स) ने कर्बला के बाद कूफ़ा और शाम में अपने निर्भीक भाषणों के ज़रिए अशूरा के संदेश को अमर बना दिया।

डॉ. ज़ियाई निया ने आगे कहा कि जब कर्बला के खेमों में आग लगाई गई, उस वक़्त हज़रत ज़ैनब (स) और इमाम सज्जाद (अ) का संवाद ज्ञान, सब्र और अल्लाह पर पूर्ण विश्वास की सबसे ऊँची मिसाल है, जो हर मोमिना के लिए मार्गदर्शन का दीपक है।

कार्यक्रम के अंत में नुमाइंदा‑ए‑वली‑ए‑फक़ीह डॉ. हकीम इलाही का विशेष सलाम और दुआ सभी प्रतिभागियों तक पहुंचाया गया। अंत में मौलाना जवाद हबीब ने कार्यक्रम का अनुवाद और व्याख्या (तर्जुमानी व तशरीह) का कार्य संपन्न किया।

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