रविवार 9 नवंबर 2025 - 23:52
"हम और पश्चिम" सम्मेलन की अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति की बैठक का क़ोम में आयोजन हुआ

हौज़ा / क़ुम अल मुक़द्देसा में "आयतुल्लाह ख़ामेनेई के विचार मे हम और पश्चिम" नामक एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें विद्वानो और शोधकर्ताओं ने पश्चिमी उपनिवेशवाद और अहंकार के वैचारिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभावों का सुप्रीम लीडर के विचार की रोशनी में गहराई से अध्ययन किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम अल मुक़द्देसा में "आयतुल्लाह ख़ामेनेई के विचार मे हम और पश्चिम" नामक एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें विद्वानो और शोधकर्ताओं ने पश्चिमी उपनिवेशवाद और अहंकार के वैचारिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभावों का सुप्रीम लीडर के विचार की रोशनी में गहराई से अध्ययन किया।

यह बैठक मदरसा ए इमाम खुमैनी (र) के शहीद आरिफ़ अल-हुसैनी हाल में आयोजित हुई, इस बैठक में ताजिकिस्तान, नाइजीरिया, माली, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ट्यूनिसिया और साहिल आज के प्रमुख विद्वान शामिल हुए।

उपनिवेश्वाद पश्चिमी सभ्यता का बुनियादी हिस्सा

उद्घाटन सत्र में हुज्‍जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रज़ाई इस्फहानी ने कहा कि उपनिवेशवाद का इतिहास पश्चिमी दुनिया के वजूद से अलग नहीं किया जा सकता। पश्चिमी हुकूमतों ने “वज़ारत-ए-मुस्तअमरात”  के नाम से ऐसे इदारे बनाए, जो विकास के नारों के पीछे दरअसल पूरी दुनिया की क़ौमों के वसाइल पर कब्ज़ा करते रहे।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी इतिहास ज़ुल्म और शोषण से भरा पड़ा है  अमरीका की खोज के बाद वहाँ के मूल बाशिंदों के क़त्ले-आम से लेकर भारत में ब्रिटिश अत्याचारों तक, इंडोनेशिया में डच ज़ुल्म और अफ्रीका व वियतमान में लाखों बेगुनाहों के क़त्ल तक हर दौर में पश्चिम ने इंसानियत को गहरे ज़ख्म दिए हैं।

हुज्जतुल इस्लाम रज़ा इस्फ़हानी

उनके अनुसार ग़ज़्ज़ा में जारी नरसंहार पश्चिमी सभ्यता का "खुला प्रमाण" है, जहां दो वर्षों में सत्तर हजार से अधिक महिलाएं और बच्चे शहीद हो चुके हैं। यह नरसंहार पश्चिमी सभ्यता की बर्बरता और मानवता के प्रति उसके रवैये को दर्शाता है।

उन्होंने पश्चिमी वर्चस्व के तीन स्तर होते हैं: पारंपरिक उपनिवेशवाद (सैन्य कब्ज़ा), नया उपनिवेशवाद (राजनीतिक हस्तक्षेप और सरकार बदलना),  वैचारिक उपनिवेशवाद (संस्कृति और सोच का प्रभाव), जो सबसे खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसके ज़रिए पश्चिम अपनी सोच को इस्लामी समाजों में पहुंचाता है और महत्वपूर्ण पदों पर अपने समर्थक स्थापित करता है।

हौज़ा ए इल्मिया की वैश्विक भूमिका

इसके बाद हौज़ा इल्मिया इरान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख, हुजजतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुफ़ीद हुसैनी कोहसारी ने कहा कि "हम और पश्चिम" जैसे मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में हौज़ा इल्मिया को अपनी वैचारिक और क्रांतिकारी जिम्मेदारियों की पुनः समीक्षा करनी चाहिए।

हुज्जतुल इस्लाम मुफ़ीद हुसैनी कोहसारी

उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रांति के नेता ने "हौज़ा ए इल्मिया के घोषणापत्र" में स्पष्ट रूप से कहा है कि हौज़ा ए इल्मिया को वैश्विक स्तर पर बौद्धिक, धार्मिक और सांस्कृतिक नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए। उनके अनुसार, क्रांति के नेता ने पाँच बुनियादी तत्वों की पहचान की है, जिनमें उपनिवेशवाद और अहंकार के विरुद्ध सेमिनरी की पहल एक मौलिक स्थान रखती है।

अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा अकादमिक चर्चाएँ

बैठक में विभिन्न देशों के शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

मिर्ज़ामुद्दीन गादिएव (ताजिकिस्तान)

मिर्ज़ामुद्दीन गादिएव (ताजिकिस्तान) ने "कुरान के सिद्धांतों के प्रकाश में सांस्कृतिक उपनिवेशवाद का उन्मूलन" विषय पर व्याख्यान दिया, जबकि अब्दुलकादिर मुहम्मद बेल्लो (नाइजीरिया) ने "इमाम ख़ामेनेई की नज़र में ज़ारिया नरसंहार और पश्चिमी मानवाधिकार" विषय पर एक शोधपत्र प्रस्तुत किया और कहा कि पश्चिम की चुप्पी उसके दोहरे मानदंडों का प्रतीक है।

द्रिस्सा दियामोतुन्हा (माली)

द्रिस्सा दियामोतुन्हा (माली) ने अरबी में "अमेरिकी षड्यंत्र और इस्लामी क्रांति के प्रतिरोध का स्वरूप" विषय पर एक शोधपत्र प्रस्तुत किया और कहा कि क्रांति के नेता के मार्गदर्शन में उम्माह की एकता पश्चिमी परियोजनाओं का प्रभावी जवाब है।

हुज्जतुल इस्लाम अली अका सफ़री (अफ़ग़ानिस्तान)

इसी प्रकार, हुज्जतुल इस्लाम अली अका सफ़री (अफ़ग़ानिस्तान) ने अपने शोधपत्र में अहंकारी शक्तियों से मुक्ति के लिए एकेश्वरवाद, शत्रु पहचान, अंतर्दृष्टि और प्रतिरोध को आवश्यक बताया।

सय्यद तौक़ीर (पाकिस्तान)

सय्यद तौक़ीर (पाकिस्तान) ने पश्चिमी प्रभुत्व की आर्थिक और शैक्षिक रणनीतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि इसका समाधान शैक्षणिक आत्मनिर्भरता और सक्रिय प्रतिरोध है।

उपनिवेशवाद के दो चेहरे; यूरोप और अमेरिका

डॉ. सय्यद ज़ुहैर अल-मसालिनी (ट्यूनीशिया) ने सत्र में "यूरोपीय और अमेरिकी उपनिवेशवाद का तुलनात्मक अध्ययन" प्रस्तुत किया और कहा कि दोनों एक ही मानसिकता के दो पहलू हैं, जो राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के माध्यम से इस्लामी दुनिया पर अपना दबदबा बनाना चाहते हैं।

डॉ. सय्यद ज़ुहैर अल-मसालिनी (ट्यूनीशिया)

उन्होंने कहा कि मुस्लिम उम्माह का जागरण, धार्मिक आत्मविश्वास और शैक्षणिक स्वतंत्रता ही स्वतंत्रता की गारंटी हैं।

दक्षिण एशिया और अफ्रीका में पश्चिमी प्रभाव

करमोगौ वात्रा (आइवरी कोस्ट)

करमोगौ वात्रा (आइवरी कोस्ट) ने कहा कि स्पष्ट रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद, पश्चिमी अफ्रीका के अधिकांश देश पश्चिमी व्यवस्था के प्रभाव में हैं, जो इस्लामोफोबिया और सांस्कृतिक निर्भरता को बढ़ावा देती है।

हुज्जतुल इस्लाम मीर अजमल हुसैन (पाकिस्तान)

हुज्जतुल इस्लाम मीर अजमल हुसैन (पाकिस्तान) ने "पाकिस्तान में अमेरिका की सॉफ्ट पावर" पर एक शोधपत्र प्रस्तुत किया और कहा कि अमेरिका अपने हितों को राजनीतिक या सैन्य माध्यम से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षिक प्रभावों के माध्यम से प्राप्त कर रहा है, जो "सॉफ्ट उपनिवेशवाद" का एक रूप है।

ज़ारिया नरसंहार और वैश्विक चुप्पी, इमाम ख़ामेनेई के दृष्टिकोण से पश्चिमी मानवाधिकारों की एक आलोचनात्मक समीक्षा

नाइजीरिया के एक छात्र, श्री अब्दुलकादिर मुहम्मद बेलो ने अंग्रेजी में अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था "ज़ारिया नरसंहार और वैश्विक चुप्पी, इमाम ख़ामेनेई के दृष्टिकोण से पश्चिमी मानवाधिकारों की एक आलोचनात्मक समीक्षा"।

अब्दुलकादिर मुहम्मद बेलो

अपने शोधपत्र में, उन्होंने नाइजीरियाई शहर ज़ारिया में मुसलमानों के क्रूर नरसंहार का उल्लेख किया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तथा पश्चिमी मानवाधिकार संस्थानों की चुप्पी और दोहरे मानदंडों की आलोचना की।

उल्लेखनीय है कि इस बैठक के अंत में कुल 9 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। सभी शोधकर्ता इस बात पर सहमत थे कि इस्लामी क्रांति के नेता की बौद्धिक और सांस्कृतिक विचारधारा आज के युग में पश्चिमी उपनिवेशवाद का मुकाबला करने के लिए सबसे व्यापक और व्यवस्थित रूपरेखा है, जो ज्ञान, विश्वास, प्रतिरोध और उम्मा की एकता पर आधारित है।

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