हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने फरमाया:रौब में आ जाने, डर जाने, बेचैन हो जाने और बिखर जाने के हालात में इंसान अपना पुख़्ता नज़रिया भी भूल जाता है। रौब में आ जाने वाला इंसान ऐसा ही होता हैं डर' बुद्धि को भी तबाह कर देता है और इरादे को भी
भयभीत और डरपोक व्यक्ति न तो ठीक से सोच सकता हैंं
। और न ही अपने संकल्प को व्यवहारिक बना सकता है, वह हमेशा उधेड़ बुन में रहता है, कभी आगे बढ़ता है तो कभी पीछे हट जाता हैं यही वजह है कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम से अपनी मशहूर वसीयत में कहा: डरपोक इंसान से कभी भी सलाह न लेना क्योंकि वो तुम्हारे बचने का रास्ता और आशा की खिड़की बंद कर देगा।
जब इंसान भयभीत नहीं होता तो वो सही तरीक़े से सोच सकता है, फ़ैसला कर सकता है और रुकावट पार कर सकता है लेकिन जब वो भयभीत होता है तो बचने का रास्ता और आशा की खिड़की बंद कर देता है और हाथ बांध कर सिर झुका देता है इसलिए सुकून व शांति बहुत ज़रूरी है।
इमाम ख़ामेनेई,