सोमवार 17 नवंबर 2025 - 11:58
ये 10 रुकावटें आपकी दुआओं को कुबूल होने से रोकती हैं

हौज़ा / आयतुल्लाह मुज्तहिद तेहरानी के अनुसार, इस हदीस में दस ऐसे गुणों और रुकावटों का वर्णन है जो इंसान के दिल को कठोर बना देते हैं और दुआओं के कुबूल होने में रुकावट डालते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, मवाइज़ उल अदादिया किताब में, अहादिस-ए-अशरा (दस चीजों) के अध्याय में पैग़ंबर (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेहि वसल्लम) से एक सवाल पूछा गया:
खुदा कहता है "ادْعُونِی أَسْتَجِبْ لَکُمْ""मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूँगा", लेकिन हम दुआ करते हैं, सामूहिक दुआएं भी करते हैं, फिर भी हमारी दुआएं क्यों कबूल नहीं होतीं?

पैगंबर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने जवाब दिया: इसका कारण यह है कि तुम दस गुनाहों में उलझे हो, तुम्हारे दिल इन दस बुराइयों से ज़िंदा नहीं रहे, ये तुम्हारी दुआ कबूल होने में बाधक हैं:

  1. عَرَفْتُمُ اللهَ وَ لَمْ تُطِیعُوهُ तुम खुदा को जानते हो लेकिन उसकी आज्ञा नहीं मानते। ज़ुबान से कहते हो कि हम खुदा को मानते हैं, लेकिन पूरी तरह इबादत नहीं करते। नमाज़, ख़ुम्स, हज कुछ चीज़े करते है और कुछ चीज़े छोड़ देते हो।

  2. قَرَأْتُمُ الْقُرْآنَ وَ لَمْ تَعْمَلُوا بِهِ तुम कुरान पढ़ते हो लेकिन उस पर अमल नहीं करते। क़ुरआन तुम्हें झूठ बोलने, चुगली करने, ज़ुल्म करने और गुनाहों से मना करता है और तुम्हें हज करने का हुक्म देता है, लेकिन तुम उस पर अमल नहीं करते। तुम सालों तक ऐसा कर सकते हो, लेकिन तुम हज पर नहीं जाते।

  3. ادَّعَیْتُمْ مَحَبَّةَ الرَّسُولِ وَ عَادَیْتُمْ عِتْرَتَهُ وَ أَوْلاٰدَهُ तुम कहते हो कि तुम रसूल (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) से मोहब्बत करते हो, लेकिन उनके परिवार और बच्चों से दुश्मनी रखते हो।

    कुछ लोग रसूल (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) से मोहब्बत करने का दावा करते हैं, लेकिन वे अहल-अल-बैत (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जैसे नसीबी और वहाबी समूहों से दुश्मनी रखते हैं।

  4. ادَّعَیْتُمْ عَدَاوَةَ الشَّیْطٰانِ وَ وٰافَقْتُمُوهُ कहते हो शैतान हमारा दुश्मन है, लेकिन उसका साथ देते हो। 

    तुम पापों, इच्छाओं और गलत रास्तों पर चलकर शैतान का अनुसरण करते हो।

  5. ادَّعَیْتُمْ مَحَبَّةَ الْجَنَّةِ وَ لَمْ تَعْمَلُوا لَهٰا जन्नत से मोहब्बत का दावा करते हो, लेकिन जन्नत के लिए कोई नेक काम नहीं करते। 

    तुम सिर्फ़ हूर और कसूर की कहानियाँ सुनाते हो, लेकिन कोई भी नेक काम नहीं करते जो जन्नत का रास्ता बन जाए।

  6. ادَّعَیْتُمْ مَخٰافَةَ النّٰارِ وَ رَمَیْتُمْ أَنْفُسَکُمْ فِیهٰا जहन्नुम से डरते हो, लेकिन खुद को आग में डालते हो। तुम गुनाहों से बचते नहीं, हालाँकि तुम जानते हो कि यह रास्ता नर्क की ओर जाता है।

  7. اشْتَغَلْتُمْ بِعُیُوبِ النّٰاسِ وَ تَرَکْتُمْ عُیُوبَ أَنْفُسِکُمْ  तुम दूसरों की बुराइयाँ ढूँढ़ने में लगे रहते हो, अपनी बुराइयों को भूल जाते हो।

    तुम हमेशा दूसरों की बुराइयों की शिकायत करते हो, लेकिन खुद को सुधारने के बारे में नहीं सोचते।

  8. ادَّعَیْتُمْ بُغْضَ الدُّنْیٰا وَ جَمَعْتُمُوهٰا  तुम दुनिया से नफ़रत का दावा तो करते हो, लेकिन उसे इकट्ठा करने में लगे रहते हो।

    तुम अपनी ज़बान से कहते हो, "दुनिया कुछ भी नहीं है," लेकिन तुम्हारा दिल दुनिया कमाने और इकट्ठा करने में लगा रहता है।

  9. أَقْرَرْتُمْ بِالْمَوْتِ وَ لَمْ تَسْتَعِدُّوا لَهُ आपकी मृत्यु निश्चित है, लेकिन आप इसके लिए तैयारी नहीं करते हैं।

    तुम जानते हो कि मौत एक हक़ीक़त है, लेकिन तुम आख़िरत की तैयारी नहीं करते और न ही अच्छे कर्म करते हो।

  10. دَفَنْتُمُ الْمَوْتٰی وَ لَمْ تَعْتَبِرُوا तुम मुर्दों को दफ़नाते हो, पर कोई सबक नहीं सीखते।

    तुम कब्रिस्तान जाते हो, मुर्दों को दफ़नाते हो, पर यह मत सोचो कि एक दिन तुम भी इस धरती पर उतारे जाओगे। जब इंसान इन दस बीमारियों से बच जाता है और इन अशुद्धियों से दिल को साफ़ कर लेता है, तो दुआओं के क़ुबूल होने की वजहें पैदा होती हैं।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha