बुधवार 31 दिसंबर 2025 - 19:36
मिर्ज़ा नाइनी र.ह.ने दीनदारी के ज़वाल के दौर में दिन के परचम को बुलंद किया

हौज़ा / मजलिस ए ख़ुबरेगान ए रहबरी के सदस्य हुज्जतुल-इस्लाम अली इस्लामी ने कहा कि मरहूम आयतुल्लाह मिर्ज़ा नाइनी के धार्मिक और बौद्धिक कामों ने उस समय इस्लाम को नया जीवन दिया, जब पश्चिमी देशों में धर्म को खत्म करने की योजनाबद्ध कोशिशें हो रही थीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मजलिस ए ख़ुबरेगान ए रहबरी के सदस्य हुज्जतुल-इस्लाम अली इस्लामी ने कहा कि मरहूम आयतुल्लाह मिर्ज़ा नाइनी के धार्मिक और बौद्धिक कामों ने उस समय इस्लाम को नया जीवन दिया, जब पश्चिमी देशों में धर्म को खत्म करने की योजनाबद्ध कोशिशें हो रही थीं।

उन्होंने कहा कि मिर्ज़ा नाइनी ने ऐसे कठिन दौर में धर्म की रक्षा की, जब समाज से ईमान और धार्मिक मूल्यों को हटाने की कोशिशें तेज़ थीं।अली इस्लामी ने मिर्ज़ा नाइनी पर आयोजित सम्मेलन को हौज़ा-ए-इल्मिया और खास तौर पर ईरान के हौज़ा के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी की एक सराहनीय पहल बताया।

उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के ज़रिए बहुत से लोग हौज़ा के उस बड़े ज्ञान-भंडार से परिचित हुए, जिसे लंबे समय तक नज़रअंदाज़ किया गया था।

उन्होंने मिर्ज़ा नाइनी के महत्व पर बात करते हुए कहा कि वे इस्लामी दुनिया के लिए ईश्वर की एक बड़ी देन थे। उन्होंने कई योग्य शिष्य तैयार किए और आज उनकी सोच से दुनिया के कई देशों के विद्वान लाभ उठा रहे हैं, जिसकी झलक सम्मेलन में साफ़ दिखाई दी।

अली इस्लामी ने मिर्ज़ा नाइनी की प्रसिद्ध किताब “तंबीह-उल-उम्मत व तनज़ीह-उल-मिल्लत” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह किताब साबित करती है कि जब यूरोप में पुनर्जागरण के बाद धर्म को समाज से अलग करने की सोच फैल रही थी, तब मिर्ज़ा नाइनी ने ईश्वर से जुड़ाव, भक्ति और धार्मिक जीवन का झंडा ऊँचा रखा, जिसके अच्छे असर आज भी दिखाई देते हैं।

उन्होंने कहा कि सच्ची नीयत से किया गया कोई भी काम बेकार नहीं जाता, और मिर्ज़ा नाइनी का धार्मिक संघर्ष इसकी साफ़ मिसाल है।

अंत में उन्होंने दुआ की कि अल्लाह तआला मरहूम मिर्ज़ा नाइनी को इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) और अमीरुल-मोमिनीन हज़रत अली (अ) के पास स्थान प्रदान करे।

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