मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
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आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से शहीद क़ायद आरिफ़ हुसैनी के बेटे की मुलाक़ात
हौज़ा / शहीद क़ायद अल्लामा सैयद आरिफ़ हुसैन अलहुसैनी के बेटे मौलाना सैयद अली ने नजफ़ ए अशरफ़ में मरजए तक़लीद आयतुल्लाहिल उज़्मा हाज़ी हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से उनके केंद्रीय दफ्तर में मुलाक़ात की।
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मर्जइयत के ख़ेलाफ साज़िश
हौज़ा / मरजा ए तक़लीद आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद हुसैन तबातबाई ब्रोजरदी र०अ० शरई हुदूद (मसाइल) के बहुत ज़्यादा पाबंद थे,उनके खिलाफ फैलाई गई गलत बात को कैसे आयतुल्लाहिल उज़मा ब्रोजरदी र०अ० ने रद्द किया।
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इमामे वक़्त को खुश करने का सलीक़ा सिखाया हज़रत मुख्तार ने: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने जनाबे मुख्तार की शहादत का हवाला देते हुए बयान किया कि हमारी जिंदगी का एक अहम मक़सद यह होना चाहिए की इमामे वक़्त हमसे राज़ी हो जाएं और हमारे अमल से खुश हो जाएं जो सबसे बड़ी सआदत और कामयाबी हैं।
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माहे रमज़ान बरकत व रहमत और मग़फेरत का महीना है: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने फ़रमाया माहे रमज़ान बरकत व रहमत और मग़फेरत का महीना है इस महीने में जहां दुआ, मुनाजात और अल्लाह की इबादत ज़रूरी है वही उसके बंदों की खिदमत भी ज़रूरी है,हज़रत रसूलुल्लाह स.ल.व.व. ने गुनाहों और हराम से परहेज को इस महीने का बेहतरीन अमल बताया है।
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रौज़ा ए फातमैन लखनऊ में महफिल और इमाम हसन अ०स० का दस्तरखान मुनअकिद हुआ/फोटों
हौज़ा/हर साल की तरह इस साल भी हज़रत इमाम हसन अ.स.के दस्तरखान का आयोजन हुआ,दस्तरखान से पहले महफिल हुई, जिसमें पहले शायरों ने कलाम पेश किए उसके बाद मौलाना सैय्यद अली हाशिम आब्दी ने महफिल को ख़ेताब करते हुए इमाम हसन अ०स० की सखावत और करामात बयान की, और कहा कि अल्लाह हमसे दो ही चीजें चाहता है एक उसकी इबादत दूसरे उसके बंदों की खिदमत यह दस्तरखान हमें बताता है कि हमें चाहिए कि हम दूसरों की मदद करें।