हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , लखनऊ/ पिछले सालों की तरह इस साल भी बारगाह-ए-उम्मुल बनीन स.अ. मंसूर नगर में अशरा मजलिस सुबह साढ़े सात बजे आयोजित हो रही है, जिसमें मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी खिताब फरमा रहे हैं।
मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने हज़रत अब्बास अ.स. का ज़िक्र करते हुए कहा, हज़रत अब्बास (अ.स.) ने जब पानी को हाथ में लिया तो फरमाया,इमाम हुसैन (अ.स.) के बाद ज़िंदगी का कोई मतलब नहीं। यानी वही ज़िंदगी सार्थक है जो इमाम हुसैन (अ.स.) से वाबस्तगी में हो, और वह ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं जो इमाम हुसैन (अ.स.) से दूर हो।
मौलाना आबिदी ने आगे कहा,हज़रत अब्बास (अ.स.) ने अपने रज्त में फरमाया,इमाम हुसैन (अ.स.) मुसीबत में हैं और तुम ठंडा पानी पीना चाहते हो? यह काम न तो दीनदारी है और न ही सच्चे मोमिन का है।यानी अगर कोई दुनिया की आरामतलबी की खातिर इमाम-ए-ज़माना से दूर हो जाए, तो न वह दीनदार है और न ही सच्चा मोमिन।
मौलाना आबिदी ने कहा, इमाम हुसैन (अ.स.) और शहीद-ए-कर्बला ने अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.स.) की वसीयत ज़ालिम के दुश्मन रहो और मजलूम के हामी रहो का कर्बला में अमली सबूत पेश किया।
शहीद-ए-कर्बला और असीरान-ए-कर्बला ने दुनिया को यह संदेश दिया कि इमाम हुसैन (अ.स.) का सच्चा चाहने वाला न कभी ज़ालिम का साथ देता है और न ही कभी मजलूम की मदद में कोताही करता है।
मौलाना आबिदी ने आगे फरमाया,जो लोग कर्बला से दूर हैं या जो कर्बला को सिर्फ एक रस्म समझते हैं, वह हर ज़ुल्म के सामने मसलहत (सुविधा) का लिबास पहन लेते हैं। लेकिन जो कर्बला वाले हैं, जिनकी नज़र शहीद-ए-कर्बला के मकसद पर है, वह खुलकर ज़ालिम का विरोध और मजलूम की हिमायत करते हैं।
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