۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
مفتی ابوالقاسم نعمانی

हौज़ा / मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा: कि दुनिया में कहीं भी हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ..व.व.) की तस्वीर नहीं है। और इस्लाम में पहले ही दिन से तस्वीर कशी सख्त हराम करार दिया गया हैं, लेकिन पुस्तक के प्रकाशक और लेखक ने एक काल्पनिक तस्वीर बनाकर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। इसलिए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , देवबंद / वसीम रिज़वी की घृणित हरकत का मुद्दा अभी ठंडा नहीं हुआ था अब चौथी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व.व.) कि एक काल्पनिक तस्वीर को प्रकाशित करके मुसलमानों की भावनाओं को एक बार फिर से भड़काने की कोशिश की गई है। नए वर्ष के चौथे ग्रेड पाठ्यक्रम में शामिल सामाजिक विज्ञान पुस्तक के पृष्ठ 89 पर रसूल अल्लाह(स. अ.व.व.) कि काल्पनिक तस्वीर के प्रकाशन से मुसलमानों में ग़म और गुस्सा हैं।

मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी ने काल्पनिक तस्वीर के प्रकाशन पर अपना आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि कुछ लोग जानबूझकर इस तरह के काम कर रहे हैं ताकि देश और समाज को भ्रमित किया जा सके।
उन्होंने प्रशासन से उक्त पुस्तक के प्रकाशक और उससे जुड़ी पूरी टीम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि पुस्तक को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए, और इस किताब को बैन किया जाना चाहिए,और सरकार और प्रशासन को इस तरह के कार्यों के पीछे के असली मकसद पर ध्यान देना चाहिए।
मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि दुनिया में कहीं भी हज़रत रसूल अल्लाह(स.अ.व.व.) की कोई फोटो नहीं है और इस्लाम में पहले दिन से ही तस्वीर कशी को सख्त हराम करार दिया गया है। लेकिन किताब के प्रकाशक और लेखक ने एक काल्पनिक तस्वीर बनाकर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। इसलिए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने मुसलमानों और देश के इंसाफ पसंद लोगों से अपील की है, वह शांति बनाए रखते हुए इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करने के लिए शिक्षण संस्थानों पर दबाव डालें।

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