शुक्रवार 2 मई 2025 - 14:04
प्रभावशाली प्रबंधन ही समस्याओं का असली हल है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन शअबानी ने कहा,उम्मीद है कि पाबंदियाँ (प्रतिबंध) जल्द से जल्द हटा ली जाएँ, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कामों की ज़िम्मेदारी फिर भी देश के अंदरूनी प्रबंधकों की है, और हमें समस्याओं के जड़ से हल के लिए बुनियादी सोच और ठोस रणनीति की ज़रूरत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हमदन के इमाम ए जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शअबानी ने मज़दूर और मालिक संगठनों के साथ मुलाक़ात में अहम बिंदुओं पर बात करते हुए कहा,इस्लाम इस बात की अनुमति नहीं देता कि मज़दूर की मेहनत की असली कीमत अदा न की जाए उसका हक़ देना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि अगर आर्थिक व्यवस्था में उत्पादक (उत्पादन करने वाले) पर दबाव होगा तो यह दबाव अंततः मज़दूर पर भी पड़ेगा इसी कारण मज़दूरों की समस्याएं बढ़ रही हैं।

हर साल मज़दूरों और वेतनभोगियों की क्रयशक्ति घटती जा रही है इसका हल केवल आर्थिक ढांचे में सुधार से मुमकिन है अगर कोई तरीका गलत है, तो उसे हर साल दोहराने की बजाय सुधारना चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट किया कि अधिकारी भी और मज़दूर समाज भी इन समस्याओं से वाकिफ हैं, अब ज़रूरत है कि इनके हल के लिए ठोस क़दम उठाए जाएं।

इस्लामी क्रांति के शुरुआती दौर में सहकारी समितियों (cooperatives) को महत्व दिया गया, मगर समय के साथ इस पर ध्यान कम होता गया। जबकि खनिज और अन्य राज्य संसाधन सबकी मिल्कियत हैं, लेकिन इनका लाभ केवल कानून में निर्धारित वेतन तक सीमित रह जाता है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रतिबंध जल्द हटें, लेकिन यह भी कहा कि असली ज़िम्मेदारी देश के आंतरिक प्रबंधन की है। समस्याओं को जड़ से हल करने के लिए गहरी रणनीति और प्रभावी नेतृत्व ज़रूरी है।

उन्होंने बैंकों की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा कि बैंकों ने उत्पादकों को ज़रूरी समर्थन नहीं दिया। यह रवैया बदला जाना चाहिए और निगरानी को सख़्त किया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि इस साल के राष्ट्रीय नारे को साकार करने के लिए उत्पादकों और सरकार के बीच संबंधों को मज़बूत किया जाना चाहिए।आख़िर में उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में मज़दूरों की मेहनत एक प्रकार का "जिहाद" (संघर्ष) है और हक़ीक़ी मायनों में अधिकारी वर्ग को मज़दूरों की कद्र करनी चाहिए।

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