हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार राज्य के गया शहर मे कुरान की महानता कांफ्रेस और पवित्र कुरान के हिफ्ज पूरा होने पर एक सम्मेलन मदरसा-ए तंज़ीलुल कुरआन में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन मे विद्वानो ने कुरआन की महानता और गरीमा, सम्मान, पवित्रता, विश्वास और प्रेम पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा (बिहार) के उपाध्यक्ष कारी फ़तेहुल्लाह क़ुदसी ने कहा, "दुनिया भर के मुसलमानों ने हमेशा पवित्र कुरान की महानता और पवित्रता को अपने दिलों में महफूज किया है, इसलिए जब भी पवित्र कुरान के खिलाफ कोई साजिश होती है। मुसलमान इसके खिलाफ खड़े हो जाते हैं।
उन्होने कहा "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्ति ने व्यक्तिगत लाभ के लिए और राजनीतिक दोस्तों को खुश करने के लिए जप करके मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है।
इसके अलावा, मुफ्ती सईद-उर-रहमान कासमी (क़ाजी, इमारात शरिया फुलवारी शरीफ, पटना) ने कहा कि कुरान की आज्ञाएं दो प्रकार की हैं, एक सामान्य और नार्मल हालात के लिए जबकि दूसरी आपात स्थिति और मजबूरियों के लिए है। कुरान की आयतें जो कुछ लोगों को आपत्ति होती हैं वह इस आपातकाल की आयतें हैं। इसलिए, प्रदर्शनकारियों के शब्दों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
मौलाना अज़मतुल्लाह नदवी ने कहा कि विदेशी और स्थानीय विद्वानों ने सम्मेलन को संबोधित किया और कुरान और हदीस के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि पांच छात्रों ने कुरान का संस्मरण पूरा किया। पिछले साल लाकडाउन के दौरान, कुछ छात्र अभी भी मदरसे में थे और उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण चल रहा है।