۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
मौलाना जमान बाकरी

हौज़ा / खुदारा इस वायरस को आसान ना समझे और ना ही कोई सियासी या हुकूमत कि साजिश समझे बल्कि यह एक हकीकत है। जो जहांने आलम में मौत की शक्ल में मढलाई हुई है। ना जाने कब किस को लुकमये अजल बना ले और फिर वह वक्त भी आए के आखरी दीदार को हर एक अज़ीज़ अकराबा रिश्तेदार तड़पता रह जाए। जिसकी हर एक को तमन्ना होती है कि मैं अपने अज़ीज़ का आखरी दीदार कर लूं। 

हौज़ा न्यूज़ एजेसी की रिपोर्ट के अनुसार, मेम्बर ऑफ ऑल इंडिया शिया पर्सनल लाॅ बोर्ड लखनऊ व इमामबाड़ा किला रामपुर की शिया मस्जिद के इमामे जमाअत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद मोहम्मद ज़मान बाक़री ने अपने तमाम शहर वासीयो से कोरोना वायरस के चलते एक अपील की है जिसमे निन्नलिखित प्रशन किए गए है। उनका कहना है कि इस बीमारी की हकीकत को काश वह लोग जान पाते जो इस बीमारी का मजाक बनाते हैं और इसको सीरियस नहीं लेते हैं या उस घर वाले से पूछे कि जिसके घर का चशमो चिराग़ चंद लम्हे में उनके सामने दम घुट घुट कर उनको रोता छोड़ गया।               
कोरोना वायरस के सिलसिले में एहतियात ना करके क्या अपनी जान को हलाकत में डालना जाईज़ है ?
क्या दूसरो की जान खतरे में डालना जाईज़  हैं।
क्या मराजेह (जिनकी तकलीद या बताए हुए फतवों पर अमल किया जाता है) के फतवों को नजरअंदाज़ करना जाईज़ हैं?
आपने यह केसे सोच लिया कि कोरोना आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है?
आज दुनिया के सभी देश कोरोना से लड़ रहे हैं?
हजारों रुपया खर्च किया जा रहा है यहां तक की ईरान मैं भी पाबंदी लगी हुई है। क्या आप ज्यादा पढ़े लिखे हैं जो खुद को कोरोना से बचाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं?
दुनिया की तमाम हुकूमत (सऊदी अरब और ईरान भी) एहतियाती तदबीरे अपनाने की ताकीद कर रही हैं। और हजारों रुपया खर्च कर रही है। तो क्या उन हुकूमतो के पास आप जैसे दानिशवर भी नहीं है? जो उन्हें यह बता सके कि कोरोना कि कोई हकीकत नहीं है।
खुदारा इस वायरस को आसान ना समझे और ना ही कोई सियासी या हुकूमत कि साजिश समझे बल्कि यह एक हकीकत है। जो जहांने आलम में मौत की शक्ल में मढलाई हुई है। ना जाने कब किस को लुकमये अजल बना ले और फिर वह वक्त भी आए के आखरी दीदार को हर एक अज़ीज़ अकराबा रिश्तेदार तड़पता रह जाए। जिसकी हर एक को तमन्ना होती है कि मैं अपने अज़ीज़ का आखरी दीदार कर लूं।

इस बीमारी की हकीकत काश वह लोग जान पाते जो इस बीमारी का मजाक बनाते हैं और इसको सीरियस नहीं लेते हैं या उस घर वाले से पूछे कि जिसके घर का चशमो चिराग़ चंद लम्हे में उनके सामने दम घुट घुट कर उनको रोता छोड़ गया। और हमेशा हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया और कसीर तादाद मैं अकरबा उसको कांधा ना दे सके।
खुदा के वास्ते बहुत ही जरूरत अगर दरपेश आए तो घर से किसी जरूरी काम के लिए निकले वरना जितना हो सके खुद भी बचे और दूसरों को भी इस हलाकत से बचाए। जैसा के कलाम ए पाक में है"अगर किसी ने एक नफ्स  को बचाया तो उसने कयामत तक की नस्लो को बचा लिया"‌।
अगर किसी एक के जरिए किसी एक नफ्स  का कत्ल हुआ  तो वह क़यामत तक की नस्लो का कातिल और जिम्मेदार होगा। लिहाजा सभी शहर वासियों से मेरी अपील है बगैर भेद-भाव के  इस कोरोना वायरस से बचने के जो उपाय हैं उन पर अमल करें और अपने शहर की इन्तेज़ामिया का भरपूर सहयोग करें।
"जियो और जीने दो"की फिक्र अपने ज़हनो मैं रखना चाहिए।(जिंदगी हजार नेमत है इसकी कद्र करें) ।
मेम्बर ऑफ ऑल इंडिया शिया पर्सनल लाॅ बोर्ड लखनऊ व इमामे जमाअत मस्जिद शिया इमामबाड़ा किला रामपुर 
सय्यद मोहम्मद ज़मान बाक़री

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