हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,भारत के प्रमुख धार्मिक विद्वान हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैय्यद रज़ी जै़दी दिल्ली ने कोरोना महामारी के मद्देनजर लोगों को अपने संबोधन में कहा।
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ امابعد فقال تبارک و تعالی فی القرآن المجید مَنْ اَحْيَاهَا فَكَاَنَّمَآ اَحْيَا النَّاسَ جَـمِيْعًا.
जिसने किसी को जीवन दिया उसने मानो सभी मनुष्यों को जीवन दिया। ईश्वर ने मनुष्य को ब्रह्मांड के सभी प्राणियों पर श्रेष्ठता दी है।
यदि इनमें से एक भी चीज़ नहीं है, तो मनुष्य जीवित नहीं रह सकता, लेकिन मनुष्य के बिना इन चीजों में से कुछ भी नहीं हो सकता।
इसका मतलब है कि पृथ्वी में जितनी वस्तुएँ हैं। चाहे वे निर्जीव वस्तुएं हों, पौधे हों या जानवर हों, वह उन्हें नियंत्रित कर सकता है और आवश्यकता नुसार उनका लाभ उठा सकता है। जहाँ तक आकाश की वस्तुएँ हैं, जैसे सूरज, चाँद, तारे आदि, अल्लाह ने उन्हें इस तरह से बाँधा है कि मनुष्य उनसे लाभान्वित हो सके और अपना जीवन ठीक से जी सके।
जिससे वे मनुष्य के लिए हितकर बने हैं। मनुष्य को जीवित रखने के लिए सृष्टि के रचयिता ने सृष्टि के सभी प्राणियों को मनुष्य के अधीन कर दिया है। वह बन गया है दुश्मन या स्वार्थी हो गया है। वह पड़ोसी या इंसान नहीं देखता है। हर कोई अपनी शक्ति और धन के निर्माण में जीवन और मानवता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने में एक ही काम नहीं कर रहा है। किसी के पास दवाई का सामान है, उसके दाम आसमान छू रहे हैं, ब्लैकमेल करने लगे हैं, अल्लाह से नहीं डरते, नहीं जानते, मौत अमीर-गरीब नहीं देखती,
आती है तो दौलत यहीं रहेगी और चलेगी खाली हाथ। अभी भी कई लोग हैं जो इस घातक महामारी में मानवता की मदद कर सकते हैं।
जहां कब्रिस्तान और श्मशान में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कुछ संघों और संस्थाओं के नेताओं के बीच खामोशी है जो यह सोचकर खामोश है कि हमारी जिम्मेदारी भूखे को भोजन और बीमारों को चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करना नहीं है।
ऐसी स्थिति में जहां अधिकांश लोग दहशत में हैं और कुछ के घरों में भोजन नहीं है और कुछ संस्थानों के प्रमुख यह सोच रहे हैं कि यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि ऐसा करने के लिए एक आधुनिक समिति या संघ का गठन करना है। यह सोच गलत है। क्योंकि जब बच्चों के माता-पिता नहीं होंगे, तो बच्चों को कौन स्कूल भेजेगा? अनाथों की संख्या न बढ़ने दें और अनाथालयों की संख्या कम न होने दें। उसी तरह, जो लोग शासक हैं और क्षेत्रों और आबादी के जिम्मेदार हैं,।
उन्हें यह सोचना चाहिए कि जब लोग नहीं होंगे तो सरकार कौन होगी, इसलिए यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह हो सकता है कि वे डॉक्टरों के निर्देशों का पालन करके एक दूसरे की मदद कर सकें। यदि कोई व्यक्ति अपने कार्यों और प्रयासों से किसी व्यक्ति के जीवन को वापस लाता है, तो इसका मतलब है कि उसने सभी मनुष्यों के जीवन को वापस लाया है। अल्लाह कुरान में फरमाता हैं:
مَنْ اَحْيَاهَا َكَاَنَّمَآ اَحْيَا النَّاسَ جَـمِيْعًا
जिसने किसी को जीवन दिया जैसे कि उसने सभी मनुष्यों को जीवन दिया।अल्लाह ताआला हम सब को हर बीमारी से दूर रखें,अमीन