हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना तकी अब्बास रिजवी कलकत्ता, अहलेबैत फाउंडेशन के उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि ये मजालिसे स्वर्गीय प्राणियों के लिए रश्क का स्रोत हैं, ये रौनक़े धरती पर रहने वाले लोगों के लिए गर्व का स्रोत हैं। क्योंकि उस जाति की जीवनी का उल्लेख किया जा रहा है जिसने भटकी हुई मानवता को सही रास्ते पर लगाया है, जिसने अज्ञानी लोगों को मानवता का स्तर बनाया है। इस धन्य जाति के उल्लेख के बावजूद, जीवन में परिवर्तन की कोई लहर नहीं है। सैय्यदुश्शोहदा के जीवन से अपने व्यावहारिक जीवन को अलंकृत करने का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।
सैय्यदुश्शोहदा की जीवनी से अपने जीवन को सजाएं
युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सद्गुणों से अलंकृत और बुराइयों से परहेज ही कर्बला का वास्तविक पालन है। हमारे पास कर्बला की क्रांतिकारी शिक्षाएं हैं। आइए हमारे युवा कर्बला और सीरते इमाम हुसैन (अ) की शिक्षाओं को उनके व्यावहारिक जीवन में लाने का प्रयास करें।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आप मजलिसो में जाते हैं, इसके बारे में सोचते हैं और फर्शे अज़ा पर बैठो तो यह सोच कर बैठो कि ये मजलिसे, ये फर्शे अज़ा खुदा वंदे आलम के मुकर्रब बंदो के आमद ओ रफ़्त की जगह है। ये मजालिसे स्वर्गीय प्राणियों के लिए रश्क का स्रोत हैं, ये रौनक़े धरती पर रहने वाले लोगों के लिए गर्व का स्रोत हैं। , इसके रंग सांसारिक प्राणियों के लिए गर्व का स्रोत हैं क्योंकि उस जाति की जीवनी का उल्लेख किया जा रहा है जिसने भटकी हुई मानवता को सही रास्ते पर लगाया है, जिन्होंने अज्ञानी इंसानों को अपने ख़ून से इंसानियत का पैमाना बनाया। जिसने अपने खून से सत्य और असत्य के बीच लकीर खीच कर प्रलय के दिन तक दुनिया के लोगों को संदेश दिया कि ईश्वर के मार्ग मे फना हो जाना भी बाकी रहना है।
यदि ऐसी धन्य जाति का उल्लेख करने के बावजूद हमारे जीवन में परिवर्तन की लहर नहीं है, तो हमें अपनी मजलिसो और अज़ादारी पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
अल्लाह तुम् को खुश रखे मजलिस बपा करो
हर एक नेक काम को तुम बे रिया करो