۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इमाम ख़ामेनेई

हौज़ा / ऑपरेशन के बाद जब आपको होश आया तो आपने पहली मर्तबा अपने बाएं हाथ से लिखा: "मस्जिद में मौजूद और लोग कैसे हैं?" आपको जवाब दिया गया कि "आग़ा! सब ठीक हैं! उसके बाद आपने ख़ुद के बारे में पूछा। जिसके जवाब में आपको लिखा गया कि आपका दायां हाथ अब काम नहीं कर सकेगा। आपने जवाब में लिखा: "मुझे हाथ नहीं, दिमाग़ और ज़ुबान की ज़रूरत है!"

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार,  40 साल क़ब्ल तेहरान की मस्जिदे अबुज़र (र) में रहबरे मोअज़्ज़म इमाम सय्यद अली ख़ामेनेई (द) पर दहशतगर्द गिरोह मुजाहिदीने-ख़ल्क़ की जानिब से जानलेवा हमला हुआ था जिसके नतीजे में आपका एक (सीधा) हाथ ज़ख़्मी हो गया। 

 27 जून 1981 बादे नमाज़े ज़ोहर अभी आयतुल्लाह ख़ामेनई (द) नमाज़ पढ़ाकर मस्जिद से सटे कमरे में मोमिनीन के दीनी मसलों पर पूछे गए सवालों के जवाब देने बैठे ही थे कि अचानक एक धमाके ने पूरी मस्जिद को धुएं से भर दिया। 

धुआं छटने के बाद देखा गया कि आयतुल्लाह ख़ामेनई (द) चेहरे के बल ज़मीन पर गिरे हुए थे एक बॉडीगार्ड ने आपको मस्जिद से अकेले बाहर खींच कर लाना चाहा और बाहर आकर उसने बताया कि मैंने इस दौरान एक टेप रिकॉर्डर में छुपे हुए बम को देखा है। जिसके ज़रिए इस हमले को अंजाम दिया गया था!"... अभी आयतुल्लाह ख़ामेनई (द) को स्ट्रेचर पर लिटाकर अस्पताल ले जा रहे थे कि आपको अपनी शहादत का यक़ीन हो चुका था, आप कलमए शहादत पढ़ रहे थे... आपकी आंखें और होंठ के अलावा आपका पूरा बदन बेजान दिख रहा था। 

दाईं जानिब से आपका बदन शदीद ज़ख्मी हो चुका था आप का पूरा बदन टेप के परखच्चे और बम के छर्रों से छलनी हो चुका था। आप के सीने का एक हिस्सा पूरी तरह से जल चुका था साथ ही साथ आपका दायां हाथ भी मुकम्मल ज़ाया हो चुका था। यहां तक कि आप के सीने और कंधे का गोश्त ज़ाया होने की वजह से आपकी हड्डियां ज़ाहिर दिख रहीं थीं। 

तभी अचानक से सर्जनों ने अपने दस्तानें उतार लिए और कहा: यह चले गएं!...

आयतुल्लाह ख़ामेनई (द) का ब्लड प्रेशर मॉनिटर पर ज़ीरो हो चुका था कि उसी लम्हें एक मर्तबा दुबारा आपका ब्लड प्रेशर ग्राफ़ ऊपर जाने लगा और इसके बाद आपका लंबा ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।

ऑपरेशन के बाद जब आपको होश आया तो आपने पहली मर्तबा अपने बाएं हाथ से लिखा: "मस्जिद में मौजूद और लोग कैसे हैं?" आपको जवाब दिया गया कि "आग़ा! सब ठीक हैं!"

उसके बाद आपने ख़ुद के बारे में पूछा। जिसके जवाब में आपको लिखा गया कि आपका दायां हाथ अब काम नहीं कर सकेगा। आपने जवाब में लिखा: "मुझे हाथ नहीं, दिमाग़ और ज़ुबान की ज़रूरत है!" 

उसके बाद से आजतक इमाम ख़ामेनई (द) अपने बाएं हाथ से लिखतें हैं और तमाम काम बख़ूबी अंजाम देते हैं। 

इल्तेमास-ए-दुआ बराए सेहत व तुले उम्र रहबरे मोअज़्ज़म इमाम सय्यद अली ख़ामेनई (द)

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