हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के इमामे जुमआ मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने आयतुल्लाह साफी गुलपायगानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने शिया धर्म की रक्षा और शियावाद को लोकप्रिय बनाने में जीवन बिताया है।अच्छे शिष्य पैदा किए। आप बड़ों के लिए एक महान स्मारक थे, हमेशा दिफा ए अहलेबैत में सबसे आगे रहे।
हजरत आयतुल्लाह लुत्फुल्लाह साफी गुलपायगानी (र.अ.) के निधन की खबर इस्लामी दुनिया और खासकर शिया जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन शिया धर्म की सेवा में बिताया। अपनी युवावस्था की शुरुआत में, उन्होंने आयतुल्लाहिल उज़्मा बुरूजर्दी (र.अ.) के अनुरोध पर अपनी बहुमूल्य पुस्तक "अल-मुंतखब अल-असर" लिखी। यह किताब महदावियत पर एक व्यापक पुस्तक, जिसमें हदीसों को बड़ी सावधानी से संकलित किया गया है यह उस समय की बात है जब आपकी आयु मात्र 25 से 30 वर्ष थी उस समय आपने इस किताब को लिखा तब से लेकर आज तक, यह किताब उन सभी के लिए एक स्रोत है जो महदीवाद पर काम करना चाहते हैं।
आपमे ग़ैरते दीनी बहुत अधिक थी, इसलिए आपने शियावाद पर होने वाली आपत्तियों का लगातार जवाब दिया। अबुल हसन नदवी ने एक किताब लिखी थी, "इस्मई या ईरान" उसके जवाब मे आपने "ईरान तसमओ वा तोजीबो" तहरीर फरमाया उसके बाद आपने फिर मोहिबुद्दीन खतीब जो कि एक वहादी था उसका जवाब दिया। इसके अलावा जो ग़ैरते दीनी थी विशेष रूप से इमामत के संबंध में, वह वास्तव में एक बहुत ही मूल्यवान कार्य है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है।
उन्होंने शियावाद का बचाव करने और शियावाद को लोकप्रिय बनाने में जीवन बिताया, अच्छे शिष्यों का प्रशिक्षण किया, बड़ों के लिए एक महान स्मारक थे, और हमेशा दिफा ए अहलेबैत में सबसे आगे थे।
मैं अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि हमें दिफा ए अहलेबैत के संबंध से हिशाम इब्न हक्म, मोमिने ताक और इमामों (अ.स.) के अन्य साथियों के साथ महशूर फ़रमाए, और उनको वह स्थान प्रदान करे जो अहलेबैत का दिफा करने वालो को प्रदान करता है आपको उन्ही मुदाफेआने विलायत के साथ महशूर फरमाए और इमामे अस्र का विशेष आशीर्वाद प्रदान करे, शोक संतप्त को धैर्य प्रदान करे।
आपका निधन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम और बाकी के मदरसा के लिए एक बड़ी त्रासदी है। इस बड़ी त्रासदी पर इमामे अस्र (अ.त.फ.श.) की सेवा मे संवेदना व्यक्त करते है उनका एक संरक्षक और सिपाही इस दुनिया से चला गया खुदा उनके अज्र मे इज़ाफ़ा फ़रमाए और मृतक के दर्जात को बढ़ाए।