۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
42 वी बरसी

हौज़ा /  ईरान में ताज़ा-ताज़ा इस्लामी क्रांति सफल हुई थी तभी अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त आतंकी गुट एमकेओ ने एक आतंकवादी कार्यवाही अंजाम देकर ईरान की महान क्रांतिकारी हस्ती आयतुल्लाह बहिश्ती सहित 72 लोगों को शहीद कर दिया था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,  28 जून 1981 को ईरान के तत्कालीन न्यायपालिक अध्यक्ष शहीद बहिश्ती और उनके 71 साथियों का मुजाहेदीने ख़ल्क़ आतंकी संगठन ने धमाका करके नरसंहार किया, इस घटना से केवल एक दिन पहले ही आतंकियों ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई पर भी तेहरान स्थित अबूज़र मस्जिद में हमला किया था। और ख़ुद इसकी ज़िम्मेदारी भी ली लेकिन आज मानवाधिकार के दावेदार फ़्रांस सहित इन्हीं यूरोपीय देशों में वह आज़ाद घूम रहे हैं। 

फ़्रांस की सरकार और कुछ यूरोपीय सरकारें मुनाफ़ेक़ीन आतंकी संगठन का समर्थन बल्कि अपनी संसदों में बोलने का मौक़ा देने के बावजूद मानवाधिकार के दावे करती हैं। यानी वाक़ई इनमें कुछ पश्चिमी सरकारों की बेशर्मी बहुत अजीब और असाधारण है। 

हालिया चुनावों में वाक़ई ईरानी जनता ने बड़ा कारनामा किया। दुनिया में कहां यह देखने में आता है कि सैकड़ों बल्कि हज़ारों मीडिया संस्थान किसी देश के लोगों से चुनावों का बायकाट करवाएं और उन्हें चुनावों से दूर रखने के लिए पूरी ताक़त झोंक दें। 

ईरानी राष्ट्र ने चुनावों का बहिष्कार करने वालों को तमाचा जड़ा। दुशमनों को आशा थी कि मतदान की दर 20 प्रतिशत रहेगी लेकिन अगर कोरोना को मद्देनज़र रखें जिसके बारे में अनुमान है कि इससे 10 प्रतिशत मतदान कम हुआ तो इस तरह मदान की दर लगभग 60 प्रतिशत रही।

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