हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक प्रचार केंद्र के तत्वावधान में मदरसा ख़ातेमुन नबीयीन क्वेटा में ईदे ग़दीर का जश्न मनाया गया। समारोह को संबोधित करते हुए मजलिस-ए-वहदत-ए-मुसलमीन पाकिस्तान के केंद्रीय प्रवक्ता अल्लामा मकसूद अली डोमकी ने कहा कि अहले सुन्नत के महान विद्वानों और कथाकारों ने ग़दीरे ख़ुम की हदीस सुनाई है। शेखुल इस्लाम डॉ मुहम्मद ताहिरुल कादरी ने इस महान ऐतिहासिक तथ्य को अलसैफुल जली अला मुनकिरे विलायते अली (अ.स.) के शीर्षक के तहत अहले सुन्नत की हदीस की किताबों से ग़दीर की घोषणा का हवाला देते हुए स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि ग़दीरे ख़़ुम मे जिस विलायत और इमामत की घोषणा की गई क़यामत के दिन तक मानव जाति के लिए मुक्ति का संदेश है। फिलहाल नायबे इमाम यानी फ़क़ीहे आदिल के नेतृत्व में विलायत की व्यवस्था इमाम ज़माना (अ.त.फ.श.) वर्तमान समय में, जो ग़दीर को मानते हैं, वे विलायत-ए-फ़कीह की छाया में यज़ीदी ताकतों से श्रेष्ठ हैं। हिज़्बुल्लाह की सफलता का रहस्य निज़ाम-ए-विलयत-ए-फ़कीह का पालन करना है।
इस अवसर पर बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के नेता मुहम्मद लुकमान कक्कड़, एमडब्ल्यूएम बलूचिस्तान प्रांतीय नेता मौलाना जुल्फिकार अली सईद, मौलाना सोहेल अकबर शिराज़ी, मौलाना अब्दुल हक जमाली, जिम्मेदार प्रचारक मौलाना सैयद मुहम्मद रजा अख़लाकी और हाजी सैयद असगर आगा हाजी दौलत हुसैन ने समारोह को संबोधित किया। हाजी गुलाम अली ने विशेष रूप से समारोह में शिरकत की।
इस अवसर पर छात्र और छात्राओ के बीच निबंध प्रश्नोत्तरी और भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई और बेहतर स्थान हासिल करने वाले छात्रों को बहुमूल्य पुरस्कार प्रदान किए गए।