हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी के अथक प्रयास से मुहर्रमुल हराम 1443 हिजरि की मुनासेबत से ग़मो अन्दोह मे डूबा हुआ नौहा, सलाम और ग़मग़ीन क़तआत का मजमूआ बूस्ताने फ़लक बाबे ग़म तैयार हो गया है।
यह मजमूआ ए कलाम हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फलक छौलसी के अथक प्रयासों में से एक है। मौलाना के मुकद्दमे से पता चलता है कि उनके संग्रह (मजमूए) में तीन अध्याय (बाब) हैं: (१) बाबे मनक़बत (२) बाबे ग़म (३) बाबे ग़ज़लियात, ये तीन अध्याय निकट भविष्य में एक खंड के रूप में और अलग-अलग संस्करणों में भी उपलब्ध होंगे, जिनमें से एक का शीर्षक "बाबे ग़म" है।
फसीह व बलीग़ उर्दू मे नौहा, सलाम और ग़मो अन्दोह कतआत पढ़ने केलिए प्रशंसक (शाएक़ीन) इस संग्रह (मजमूए) का उपयोग कर सकते हैं जो वर्तमान में पीडीएफ प्रारूप में प्रकाशित है ताकि विश्वासी इसका अधिक से अधिक उपयोग कर सकें। पीडीएफ फाइल प्राप्त करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
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