हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी भारत के उन विद्वानों में से एक हैं जो धर्म पर गंभीरता से बात करते हैं और लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं। वे एक अच्छे वक्ता, लेखक और धर्म के विद्वान हैं, जिनकी समझ और अंतर्दृष्टि है। मौलाना अपने लेखों और वक्तव्यों के माध्यम से युवाओं में धार्मिक जागरूकता, सही मान्यताओं और बौद्धिक जागरूकता पैदा करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। हफ़्ता ए वहदत के अवसर पर उन्होने हौज़ा न्यूज़ से बात चीत मे कहा आलिमों का कर्तव्य है कि १२ रबीउल अव्वल के पहले से ही इस बारे में प्रोग्राम बनाएँ कि मुसलमानों को एक जुट करने का प्रयास कैसे कर सकते हैं! जुमे के ख़ुतबों में पहले से ही ये ऐलान किया जाए कि हफ़्ता ए वहदत आ रहा है। मीडिया को भड़काव बयानों से बचना चाहिए। सोशल मीडिया से लाभ उठाते हुए एकता और वहदत को आम करना चाहिए जितना भी हो सके हम पैग़ंबर स॰अ॰ की सीरत को ज़ियादा से ज़ियादा लोगों तक पहुंचाएँ। मौलाना के साथ हुई बात चीत को अपने प्रिय पाठको के लिए प्रशन और उत्तर के रूप मे प्रस्तुत कर रहे है।
हौज़ा न्यूजः अपना परिचय कराते हुए अपनी शिक्षा और वर्तमान गतिविधियों के बारे में बताएँ।
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः मैं सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी हूँ । छौलस ग्रेटर नोएडा में आबाद सादात की एक बस्ती है । मैं ने अरबी फ़ारसी बोर्ड से फ़ाज़िल किया, जामिया उर्दू अलीगढ़ से मोअल्लिम की सनद हासिल की, जामियातुल मुस्तफा अल आलमिया क़ुम ईरान से फ़ारसी ज़बान में उलूम ए कुरान से एम ए किया इसी तरह जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली भारत से फ़ारसी लिटरेचर में एम ए की डिग्री प्राप्त की है ।
हौज़ा न्यूजः हफ़्ता ए वहदत क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः १२ रबीउल अव्वल और १७ रबीउल अव्वल के बीच की दूरी को हफ़्ता ए वहदत कहा जाता है । इमाम ख़ुमैनी ने शिया एंव सुन्नी एकता के बारे में सोचते हुए इस दूरी को हफ़्ता ए वहदत का नाम दिया था ताकि इस के माध्यम से सारे मुसलमान एक जुट हो जायें और पैग़ंबर स॰अ॰ की ख़ुशी एक साथ मनाएँ ।
हौज़ा न्यूजःवहदत ए इस्लामी का मतलब और इसकी अहमियत क्या है?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः वहदत ए इस्लामी का मतलब यह है कि संसार के सारे मुसलमान एक ही पॉइंट पर नज़र आएँ । मुसलमानों की एकता संसार को ये समझाएगी कि हम सदैव एक साथ हैं और हमें शत्रु का कोई पियादा अलग नहीं कर सकता । इस एकता के माध्यम से शत्रु का संसार काँपने लगता है ।
हौज़ा न्यूजः मौजूद वक़्त में मुसलमानों के बीच वहदत की सबसे बड़े चुनौतियाँ क्या हैं?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः शत्रु मुसलमानों को तोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की रचनाएँ रचता रहता है यहाँ तक कि आज के तरक़्क़ी करते हुए समय में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो मुसलमानों को आपस में लड़ाना चाहते हैं । इसी लिए आज के समय में भी मुसलमानों के लिए सब से बड़ी चुनौती यही है की वह अपने शत्रु को पहचानें ।
हौज़ा न्यूजः हफ़्ता ए वहदत मनाने का उद्देश्य और इसके इतिहास के बारे में बताएँ।
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः पैग़ंबर स॰अ॰ की ख़ुशी में एक साथ ख़ुश होना । संसार को अपनी एकता दिखलाना एंव शत्रु को यह समझाना कि हमें तोड़ने का प्रयास न करना क्योंकि हम सदैव एक साथ हैं । यह सारी चीज़ें हफ़्ता ए वहदत का उद्देश्य है तथा इस का आरंभ इमाम ख़ुमैनी के समय से हुआ ।
हौज़ा न्यूजः उलमा वहदत को बढ़ावा देने के लिए क्या किरदार अदा कर सकते हैं?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः मुसलमान आलिमों का कर्तव्य है कि १२ रबीउल अव्वल के पहले से ही इस बारे में प्रोग्राम बनाएँ कि मुसलमानों को एक जुट करने का प्रयास कैसे कर सकते हैं! जुमे के ख़ुतबों में पहले से ही ये ऐलान किया जाए कि हफ़्ता ए वहदत आ रहा है जो हमें एक साथ मिल कर मनाना है । यह मुसलमानों का त्योहार है इसी लिए हम सब मुसलमानों को मिल जुल कर यह त्योहार मानना है ।
हौज़ा न्यूजः युवाओं को वहदत के पैग़ाम से कैसे जोड़ा जा सकता है?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः हमें अपने युवाओं को भड़काव बयानों से बचाना चाहिए । यदि वह भड़काव बयानों को सुनते हैं तो उन्हें रोका जाए । यदि वह भड़काव बयानों पर ग़ौर करते हैं तो उन्हें वास्तव की ओर लाना चाहिए एंव उन्हें समझाना चाहिए कि यह भड़काव बयान हमें तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं परंतु हमें एकता का प्रयास करते रहना है एंव एकता को बढ़ावा देना है ।
हौज़ा न्यूजः हफ़्ता ए वहदत के दौरान कैसे प्रोग्राम किए जा सकते हैं?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः हम इस समय में एकता के जलसे कर सकते हैं । उन जलसों में पैग़ंबर स॰अ॰ की सूरत के बजाए उनकी सीरत को बयान करें क्योंकि हुज़ूर की सूरत को सब समझ चुके हैं परंतु उनकी सीरत से दूर होते जा रहे हैं । हमें हर जलसे में उनकी सीरत बयान करनी चाहिए ।
हौज़ा न्यूजःसमाज में हमआहंगी और भाईचारा बनाए रखने के लिए मीडिया का क्या किरदार होना चाहिए?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः समाज में एकता रखने के लिए हमारे मीडिया को भड़काव बयानों से बचना चाहिए क्योंकि भड़काव बयानों से हमारी युवा पीड़ी एक दुसरे से दूर हो रही है जो भविष्श्य के लिए अच्छी चीज़ नहीं है । मीडिया का कर्तव्य है कि युवा पीड़ी को एक दूसरे के निकट लाय ताकि अच्छा संसार बन सके ।
हौज़ा न्यूजः क्या हफ़्ता ए वहदत केवल मुसलमानों तक महदूद है या इसमें दूसरे मज़ाहिब के लोग भी शामिल हो सकते हैं?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः वास्तव में हमारे पैग़ंबर स॰अ॰ को अल्लाह ने संसार के लिए दूत बनाकर भेजा है इस लिए वह केवल मुसलमानों से संबंध नहीं रखते बल्कि पूरे संसार के लोग इस प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं । न केवल यह कि शामिल हो सकते हैं बल्कि सब को शामिल होना चाहिए ।
हौज़ा न्यूजः विभिन्न मतभेदों के बावजूद वहदत को कैसे क़ायम रखा जा सकता है?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः यदि हम क़ुरआन के आदेशों का पालन करें तो विभिन्न प्रकार के मतभेद वहदत को कोई हानि नहीं पहुंचा सकते । क्योंकि क़ुरआन क़यामत तक के आदेश लेकर आया है और इस में एकता की दावत दी गई है । यदि मुसलमान अपने जीवन का उद्देश्य क़ुरआन को बना लें तो कोई डर नहीं होगा ।
हौज़ा न्यूजः हफ़्ता ए वहदत के संदेश को सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ार्म पर कैसे फैलाया जा सकता है?
मौलाना सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसीः चलते हुए समय में सोशल मीडिया बहुत तरक़्क़ी कर चुका है इसी लिए हमें सोशल मीडिया से लाभ उठाते हुए एकता और वहदत को आम करना चाहिए जितना भी हो सके हम पैग़ंबर स॰अ॰ की सीरत को ज़ियादा से ज़ियादा लोगों तक पहुंचाएँ और इस समय में ज़ियादा लोगों तक अपनी बात पहुँचने का सब से अच्छा रास्ता सोशल मीडिया है ।
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