۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
آیت

हौज़ा/ अफगानिस्तान के हौज़ाते इल्मिया और मदारिस बहुत अहम है, और जिस तरह मसाजिद की हिफाजत की जाती है इसी तरह इस देश के वैज्ञानिक और धार्मिक केंद्रों की रक्षा के लिए प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार के व्यवधान से ग्रस्त न हों।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ाये इल्मिया के अध्यक्ष आयतुल्लाह आराफी ने हौज़ाये इल्मिया कुम के कार्यालय में शिया उलेमा काउंसिल अफगानिस्तान के चेयरमैन आयतुल्लाह मोहम्मद हाशिम सालेही से मुलाकात के दौरान कहा:मैंने आपके कार्यों को करीब से देखा है।

अफगानिस्तान में हाल की घटनाओं पर अफगानिस्तान की शिया उलेमा परिषद की स्थिति अत्यधिक सराहनीय और गंभीर है।
उन्होंने आगे कहा:इन जटिल परिस्थितियों में हमें भावुक नहीं होना चाहिए और कोई गलत कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। दूसरी ओर, हमें अपने धार्मिक मामलों का ध्यान रखना चाहिए।इसके विपरीत, हमें परिस्थितियों और घटनाओं को ध्यान में रखते हुए इन घटनाओं से होशियारी और समझदारी से निपटना चाहिए।
कुम के इमामें जुमआ ने कहां: अफगानिस्तान की राष्ट्र, धर्म और लोग इस देश की महान और सच्ची संपत्ति हैं इन निशानों की रक्षा करनी चाहिए जो इन जनजातियों और धर्मों ने हासिल की हैं।
अध्यक्ष आयतुल्लाह आराफी ने कहां:अफगानिस्तान के हौज़ाते इल्मिया और मदारिस बहुत अहम है, और जिस तरह मसाजिद की हिफाजत की जाती है इसी तरह इस देश के वैज्ञानिक और धार्मिक केंद्रों की रक्षा के लिए प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार के व्यवधान से ग्रस्त न हों।
उन्होंने कहा:अफगानिस्तान के लोगों को पता होना चाहिए कि शिया अफगानिस्तान की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं और अफगान शिया उनके अपने लोग हैं।
उन्होंने आगे कहा:अफगानिस्तान में सभी धर्मों और राष्ट्रों की सरकार बनाई जानी चाहिए ताकि उग्रवादी फिर से सरकार की बागडोर अपने हाथ में न ले सकें।

इस मुलाकात के दौरान हौज़ये इल्मिया सेंटर फॉर कम्युनिकेशन एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रमुख सैय्यद मुफीद हुसैनी कोहसारी भी मौजूद थे.
आखिर में अफगानिस्तान के शिया उलेमा काउंसिल के चेयरमैन आयतुल्लाह मोहम्मद हाशिम सालेही मैं अपने बयानात में अफगानिस्तान की स्थिति और इस उलेमा परिषद के मदरसा के साथ संबंधों पर रोशनी डाली

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