हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली / इस्लाम तलवार से फैला, इस्लाम युद्ध और संघर्ष का धर्म है, इस्लाम खून का प्यासा धर्म है। इस प्रोपेगंडे का उपयोग पश्चिमी शक्तियों द्वारा इस्लाम को बदनाम करने और लोगों को इस्लाम से अलग करने के लिए किया गया है। दिल्ली की दरगाह शाहे मरदा मे एक ईसाले सवाब की मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना अली हैदर ग़ाज़ी ने कहा कि पैंगबर (स.अ.व.व.) ने इस्लाम के लिए जितने युद्धो का सामना किया उन सब मे कुल मिलाकर, कुछ हज़ार लोग नहीं मारे गए, और पश्चिमी शक्तियों ने इस्लाम को युद्ध का धर्म बताते हुए, पहले और दूसरे विश्व युद्ध में लाखों लोगों को मार डाला मुस्लिम देशों में भी इन्हीं ताकतों ने लाखों निर्दोष मुसलमानों का खून बहाया।
मौलाना अली हैदर गाजी ने युवाओं को पश्चिमी शक्तियों के दुष्प्रचार से दूर रहने को कहा। दिवंगत जाहिद अली के चेहलुम के अवसर पर दरगाह शाह मरदा में शोक समारोह का आयोजन किया गया। दिवंगत जाहिद अली मुजाहिद आजादी मुबारक मजदूर के साले थे। इलाहाबाद के मुबारक मजदूर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल गए। वह पंडित नेहरू के साथ नैनी जेल में भी थे। अख्तर अब्बास और उनके सहयोगियों ने मजलिस मे सोज़ खानी की।
पुरुषों की मजलिस के बाद, एक मजलिस महिलाओ के लिए भी आयोजिक की गई जिसे ज़करा अहल-ए-बेत शबनम जैदी ने संबोधित किया था। दिवंगत जाहिद अली के पुत्र शर्क अली ने शोक समारोह में शामिल होने के लिए विश्वासियों को धन्यवाद दिया।