۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
क़ुरेबाग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जाफ़र सुब्हानी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान आरम्भ से ही आज़रबाइजान के लोगों के साथ रहा है। और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और धार्मिक बातचीत का समर्थन किया है।"

हौज़ा न्यूज़  एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क़ुरबाग़ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जोकि इरान के धार्मिक नगर क़ुम मे आयोजित हुआ उस सम्मेलन के नाम आयतुल्लाहिल उज़मा जाफ़र सुब्हानी, हौज़ा-ए-इलमिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी सहित अन्य कई लोगो ने इस सम्मेलन मे भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए।

इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने जोर देकर कहा कि जुझारू और धार्मिक हिंसा फैलाने के बहाने के रूप में कुछ भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, "इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता द्वारा व्यक्त किया गया प्रवचन इन सिद्धांतों पर आधारित है और हमे आशा है कि क़ुरबाग़ की मुक्ति क्षेत्र के देशों के बीच एकता का गहरा बहाना बनाएगी।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के नाम आयतुल्लाहिल उज़मा जाफ़र सुब्हानी का संदेश इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्राहीम

इन पिछली शताब्दियों में, इस्लामिक भूमि पर ऐसी घटनाएं घटी है जिनके कारण इस्लामिक देश कई हिस्सों मे विभाजित हो गए और कुछ इस्लामी देशों पर गैर-मुस्लिम देशों ने कब्जा कर लिया है। आजरबाइजान की भूमि हमेशा शियावाद (शियत) का केंद्र रही है और इसका पोषण महान विद्वानों द्वारा किया गया है। इनमें दिवंगत मिर्ज़ा मुजतहिद क़ुरबागी, दिवंगत ज़ैनुल आबिदीन शेरवानी, दिवंगत अब्दुल हुसैन लंकारानी, ​​दिवंगत बादकुबेइ और दिवंगत मिर्ज़ा मेहदी नखजवानी सम्मिलित हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान आरम्भ से ही आज़रबाइजान के लोगों के साथ रहा है। और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और धार्मिक बातचीत का समर्थन किया है।" अब जबकि अधिकृत क्षेत्र आज़रबाइजान गणराज्य में शामिल हो गए हैं, उन्होने कुछ बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि क़ुरबाग की भूमि प्राचीन काल से आज़रबाइजान से जुड़ी हुई है। इस पर कब्जा अवैध था। इस्लामिक देशों के कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस करने और अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र का वहाबियत और आतंकवादी समूहों के लिए केंद्र में बदलने से सावधान रहें। हम जानते हैं कि ये लोग वर्षों से इस संवेदनशील क्षेत्र में निवेश और प्रचार कर रहे हैं। इस्लाम के दुश्मन इस देश के धर्म, स्वतंत्रता पर नजर रख रहे हैं। प्राचीन काल से ही शिया धर्म इस क्षेत्र में रहा है और यह क्षेत्र इस्लाम के दुश्मनों के ध्यान का केंद्र है इसलिए हमें उनके षड्यंत्रों से सावधान रहने की आवश्यकता है।

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