۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
मौलाना तकी अब्बास रिजवी

हौज़ा / भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था की निराशाजनक स्थिति और चुनौतियों को देखते हुए, इस देश को सांप्रदायिकता और कट्टरवाद की तुलना में अधिक धार्मिक सहिष्णुता, शांति और सद्भाव की आवश्यकता है।

हौजा़ न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अहलेबेत (अ.स.) फाउंडेशन के उपाध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना तकी अब्बास रिजवी कलकत्तवी ने एक बयान में कहा कि पवित्र कुरान की अनुचित आलोचना और रहमतुल आलामीन के खिलाफ आधारहीन प्रोपेगंडा आसमान पर थूकने के समान है।

उन्होंने कहा कि अबू जहल के "अ" से लेकर वसीम रुश्दी के "वई" तक, जिस किसी ने भी इस्लाम, कुरान और पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) का अपमान किया, वो बुराई मे दाखिल हो गया।

उन्होंने कहा कि केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में वसीम जैसे धर्मत्यागी और शापित व्यक्ति का जो अपमान हो रहा है वह अवर्णनीय है, उसने आकाश की ओर मुंह उठाकर थूकना चाहा है उस अज्ञानी को यह नही पता यह थूक खुद उसी के मुंह पर गिर रहा है।

वर्तमान युग को हर युग की तुलना में अधिक शांति और सद्भाव की आवश्यकता है

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी ने कहा कि भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था की निराशाजनक स्थिति और आगे की चुनौतियों को देखते हुए, इस देश को सांप्रदायिकता और कट्टरवाद से अधिक धार्मिक सहिष्णुता, शांति और सद्भाव की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि इस देश में हर व्यक्ति जो अपने लोकतंत्र को कलंकित करना चाहता है और देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदना चाहता है, उसे तुरंत दंडित किया जाना चाहिए।

इस बात पर जोर देते हुए कि 'भारत, महान भारत' का सपना महज नारों से पूरा नहीं होगा, यह सपना तभी साकार होगा जब देश के 130 करोड़ लोगों में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति की भावना होगी।

भारत को ज्ञान का केंद्र और विशुग्रो बनाने का वादा प्रधानमंत्री जी ने किया है, लेकिन! यह काम कैसे होगा?

उन्होंने कहा कि धर्मों और संप्रदायों के बीच भाईचारे और सद्भाव को बढ़ावा देकर, फिर पिछड़े तत्वों को खुली छूट देकर ?

आज पूरा भारत वसीम और नरसिंहानंद सरस्वती का विरोध कर रहा है, लेकिन उन्होंने उन्हें सलाखों के पीछे डालने के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस में छूट दे दी है?

उन्होंने कहा कि न तो देश का कानून और न ही इस्लाम का धर्म किसी भी धर्म के पवित्र लोगों के अपमान की अनुमति देता है क्योंकि इस्लाम शांति, मानवीय करुणा और सहिष्णुता और धार्मिक भावनाओं के सम्मान का एक चैंपियन है। मेरा भारत का एक उज्ज्वल इतिहास रहा है और इस्लाम, तो यह कैसी राजनीति और ईमानदारी है कि इतने महान देश में न केवल वसीम और नरसिम्हाानंद जैसे शरारती लोग जो लंबे समय से इस जघन्य कृत्य को कर रहे हैं, वे मुसलमानों के दिलों को चोट पहुँचा रहे हैं बल्कि उनकी हरकतें हैं देश की शांति और एकता और भारत के संविधान को भी नुकसान पहुंचाने वाला है...

उन्होंने कहा कि सरकार को समय रहते इस जघन्य अपराध पर विचार करना चाहिए।क्या ये लोग भारत विरोधी ताकतों के हथियार नहीं हैं जो इस देश की विकास यात्रा को चरमपंथ, नफरत और सांप्रदायिकता के बीच रोकना चाहते हैं?

इसलिए ऐसे उग्रवादियों की घृणित हरकतों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें और उन्हें जल्द से जल्द सजा दें ताकि यह इतिहास दोबारा न दोहराया जा सके, नहीं तो....

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