हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "ख़िसाल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام العلی علیہ السلام:
اِنَّ اللّهَ ـ تَبارَكَ وَ تَعالى ـ اَخْفى اَرْبَعَةً فى اَرْبَعَةٍ: اَخْفى رِضاهُ فى طاعَتِهِ فَلا تَسْتَصْغِرَنَّ شَيئا مِن طاعَتِهِ، فَرُبَّما و افَقَ رِضاهُ وَ اَنْتَ لا تَعْلَمُ وَ اَخْفى سَخَطَهُ فى مَعصيَتِهِ فَلا تَستَصْغِرَنَّ شَيئا مِن مَعصيَتِهِ فَرُبَّما و افَقَ سَخَطَهُ مَعصيَتُهُ و اَنتَ لا تَعلَمُ و اَخفى اِجابَتَهُ فى دَعوَتِهِ فَلا تَستَصغِرَنَّ شَيئا مِن دُعائِهِ فَرُبَّما و افَقَ اِجابَتَهُ و اَنتَ لا تَعلَمُ و اَخفى وَليَّهُ فى عِبادِهِ فَلا تَستَصغِرَنَّ عَبدا مِن عَبيدِ اللّهِ فَرُبَّما يَكونُ وَليَّهُ وَ اَنتَ لا تَعلَمُ؛
हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने फ़रमायाः
अल्लाह तआला ने चार चीजों में चार बातें छिपाई हैं:
1. उसने अपनी आज्ञाकारिता में अपनी खुशी छिपाई है, इसलिए भगवान की आज्ञाकारिता की किसी भी चीज का तिरस्कार न करें क्योंकि हो सकता है कि उसका आनंद उसमें हो और आप इसे नहीं जानते हों।
2. सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अपने क्रोध को अपनी अवज्ञा में छुपाया है, इसलिए परमेश्वर की अवज्ञा में किसी भी चीज़ का तिरस्कार न करें क्योंकि उसका क्रोध उसमें छिपा हो और आप इसे नहीं जानते हो।
3. सर्वशक्तिमान ईश्वर ने अपने उत्तर (स्वीकृति) को अपने सामने दुआ में छिपा रखा है, इसलिए इसे दुआ में कभी भी हल्के में न लें क्योंकि इसमें उसका उत्तर देना (स्वीकार करना) संभव है और आप इसे नहीं जानते हौ।
4. उसने अपने सेवकों के बीच अपने वली को छिपा रखा है, इसलिए उसके किसी सेवक को तुच्छ मत समझो क्योंकि वह उसका मित्र हो सकता है और तुम नहीं जानते हो।
ख़िसाल, पेज 209, हदीस 31