हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह रिवायत "अल-ख़िसाल" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول اللہ صلی اللہ علیه وآله:
لِكُلِّ نَبِيٍّ دَعوَةٌ قَد دَعا بِها، وَ قَد سَأَلَ سُؤلًا، وَ قَد خَبَأتُ دَعوَتي لِشَفاعَتي لِأُمَّتي يَومَ القِيامَةِ.
पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने फ़रमाया:
हर नबी के पास एक दुआ होती थी जो वह ख़ुदा से माँगता था, लेकिन मैंने क़यामत के दिन अपनी उम्मत के लिए अपनी दुआ महफ़ूज़ कर रखी है।
अल-ख़िसाल, 103/29
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