हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी और उनके मंत्रीमंडल के सदस्यों ने देश की तेरहवीं सरकार का कार्यकाल शुरू होने के आग़ाज़ में शनिवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
यह मुलाक़ात सरकार के नाम से मनाए जाने वाले सप्ताह और भूतपूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अली रजाई और भूतपूर्व प्रधान मंत्री जवाद बाहुनर की हत्या की बरसी के मौक़े पर हुयी। इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात की तरफ़ इशारा करते हुए, इरान के रवैये के बारे में कहा कि अफ़ग़ानिस्तान हमारा बंधु देश है, हम अफ़ग़ान राष्ट्र के साथ हैं, सरकारें आती जाती रहती हैं, जो बाक़ी रहने वाला है वह अफ़ग़ान राष्ट्र है। सरकारों से हमारे संबंध, हमारे साथ उनके रवैये पर निर्भर हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में पिछली सरकारों को की जानी नसीहत को इस मुलाक़ात में भी दोहराते हुए कहाः वक़्त बड़ी तेज़ी से गुज़र जाता है, यह चार साल जल्द ख़त्म हो जाएंगे, इसलिए हर लम्हे और हर मौक़े का इस्तेमाल करें। इस वक़्त को, जो जनता और इस्लाम से संबंधित है, बर्बाद न होने दीजिए।
उन्होंने नई सरकार के सदस्यों को नसीहत की कि वे सभी विभागों में क्रांतिकारी व सूझबूझ भरे बदलाव की कोशिश करें। उन्होंने क्रांतिकारी होने की परिभाषा बयान करते हुए कहा, क्रांतिकारी होना समझदारी के साथ होना चाहिए। आग़ाज़ से अबतक इस्लामी गणराज्य की यही शैली रही है कि इस्लामी आंदोलन युक्ति व समझ-बूझ के साथ आगे बढ़े।