हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "मन ला यहज़रूल फाकिह " पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام المجتبیٰ علیه السلام
إنَّما جُعِلَ يَومُ الفِطرِ العِيدَ لِيَكونَ لِلمُسلِمينَ مُجتَمَعا يَجتَمِعُونَ فيهِ و يَبرُزونَ لِلّهِ فَيُمَجِّدُونَهُ عَلى ما مَنَّ عَلَيهِم
हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
फितर के दिन को इसलिए रोज़े ईद करार दिया गया है ताकि मुसलमानों के इकट्ठे होने का दिन हैं और वह इस दिन जमा होकर अल्लाह तआला के लिए एक खुली फिज़ा में जाएं और अल्लाह तआला ने उन पर जो एहसान किया है उस पर उसकी हम्द सेना करें।
मन ला यहज़रूल फाकिह,भाग 1,पेंज 522