۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
रहबर

हौज़ा/इस्लामी क्रांति के लीडर ने बुधवार की सुबह ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के सभापति और सांसदों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने ख़ुर्रमशहर की फ़तह को एक कटु समीकरण के एक मधुर समीकरण में बदलने और राष्ट्रीय मुक्ति के व्यवहारिक होने का प्रतीक क़रार दिया और इस बदलाव के मुख्य कारकों की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः कठिन, पेचीदा और कठोर हालात से गुज़रने और जीत व कामयाबी तक पहुंचने का नियम, जेहादी क्रियाकलाप, ठोस इरादा, कामों में नयापन, क़ुर्बानी, दूरदर्शिता और सबसे बढ़ कर निष्ठा और अल्लाह पर भरोसा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के लीडर ने बुधवार की सुबह ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के सभापति और सांसदों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने ख़ुर्रमशहर की फ़तह को एक कटु समीकरण के एक मधुर समीकरण में बदलने और राष्ट्रीय मुक्ति के व्यवहारिक होने का प्रतीक क़रार दिया और इस बदलाव के मुख्य कारकों की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः कठिन, पेचीदा और कठोर हालात से गुज़रने और जीत व कामयाबी तक पहुंचने का नियम, जेहादी क्रियाकलाप, ठोस इरादा, कामों में नयापन, क़ुर्बानी, दूरदर्शिता और सबसे बढ़ कर निष्ठा और अल्लाह पर भरोसा है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मजलिसे शूराए इस्लामी को देश के संचालन के बुनियादी स्तंभों में से एक बताया और वर्तमान कठिन वैश्विक हालात में देशों के संचालन की कठिनाइयों व पेचीदगियों की तरफ़ इशारा करते हुए सभी बुनियादी संस्थाओं को अपनी पोज़ीशन की अहमियत को समझने और उन्हें एक दूसरे के साथ सच्चे दिल से सहयोग करने की सिफ़ारिश की।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सलाहियतों और कमज़ोर बिंदुओं की पहचान सबसे ज़रूरी कामों में से एक है क्योंकि दुश्मन अपनी सलाहियतों से ज़्यादा हमारी ग़लतियों से उम्मीद लगाए हुए है।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने ख़ुर्रमशहर की आज़ादी की सालगिरह की तरफ़ इशारा करते हुए इस महान घटना को, दुश्मन से एक शहर वापस लेने की घटना से कहीं ज़्यादा अहम क़रार दिया और कहाः ख़ुर्रमशहर की आज़ादी, अस्ल में एक कटु और निर्णायक समीकरण का, इस्लामी जियालों के पक्ष में बदल जाना और एक मधुर समीकरण बन जाना था।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस बदलाव के कारकों पर रौशनी डालते हुए कहाः राष्ट्रीय सफलता के वो तत्व जिनसे ख़ुर्रमशहर की जीत मिली, जेहादी क्रियाकलाप, ठोस इरादा, कामों में नयापन, क़ुर्बानी, लक्ष्यों व उद्देश्यों के बारे में दूरदर्शिता और सबसे बढ़ कर निष्ठा और अल्लाह पर भरोसा है।
उन्होंने इन कारकों और बुनियादी नियम को सभी मामलों में और हर समय, कामयाबी की गैरेंटी बताया और कहाः इस मुक्तिदाता नियम का आधार, इन कारकों पर डटे रहने वाले लोगों और समाज को कामयादी दिलाने पर आधारित क़ुरआने मजीद में अल्लाह का अटल वादा है और अल्लाह इस तरह के समाज के लोगों के कर्मों और संघर्ष को व्यर्थ नहीं जाने देगा।
इस्लमी क्रांति क वरिष्ठ नेता ने कहा कि क़ुर्बानी का मतलब, तुच्छ इच्छाओं के जाल में न फंसना है और लोगों व समाजों की बहुत सी समस्याओं की शुरुआत, तुच्छ इच्छाओं के सामने झुक जाने की वजह से होती है।
उन्होंने इसके बाद संसद के बारे में कुछ अहम बिंदुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि मजलिसे शूराए इस्लामी, देश के संचालन के बुनियादी और अस्ली स्तंभों में से एक है और उसकी बड़ी अहम पोज़ीशन है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि विभिन्न शहरों यहां तक कि कम आबादी वाले शहरों के सांसदों को भी, संसद के बारे में यही नज़रिया रखना चाहिए और देश के संचालन की कठिनाइयों और सख़्तियों को मद्देनज़र रखना चाहिए।
उन्होंने ईरान की व्यापकता, बड़ी आबादी, क्षेत्रफल, इतिहास और कई तरह की जलवायु की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः ईरान जैसी स्थिति वाले देश का संचालन बहुत अहम काम और दुनिया के वर्तमान विशेष हालात के मद्देनज़र स्वाभाविक रूप से कठिन और पेचीदा है। उन्होंने इसी के साथ कहा कि दुनिया के मौजूदा हालात में सभी देशों के लिए संचालन का काम कठिन हो गया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने दुनिया पर छाए हुए ख़ास हालात के कारणों पर रौशनी डालते हुए कहाः बड़ी ताक़तों के बीच शत्रुतापूर्ण टकराव, परमाणु ताक़तों की एक दूसरे को धमकियां, बढ़ती हुई सैन्य गतिविधियां और सामरिक ख़तरे, दुनिया के सबसे ज़्यादा जंगी इलाक़ों में से एक यानी यूरोप के क़रीब जंग, एक महामारी का अभूतपूर्व फैलाव और वैश्विक स्तर पर खाद्य सामग्री के ख़तरे, ये सब ऐसे कारण हैं जिन्होंने दुनिया के वर्तमान हालात को विशेष बना दिया है और इन हालात में देशों का संचालन और भी कठिन और पेचीदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि सभी देशों को जिन हालात का सामना है, धार्मिक प्रजातंत्र का नया आइडियल पेश करने की वजह से जिसने वर्चस्ववादी व्यवस्था के सभी मंसूबों को मिट्टी में मिला दिया है, ईरान उन हालात के अलावा वैश्विक ताक़तों से विभिन्न मैदानों में लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इस सारी दुश्मनी और द्वेष का बहादुरी से मुक़ाबला किया है और वह प्रगति और कामयाबी हासिल करता जा रहा है, कहाः सांसदों, सरकार, न्यापालिका और अन्य सभी संस्थाओं को जान लेना चाहिए कि वो कितने बड़े और अहम संचालन में शामिल हैं और इस पोज़ीशन के लिहाज़ से उन्हें अपनी निगरानी भी बढ़ानी चाहिए।
उन्होंने कुछ लोगों के इस तरह के बयानों को कि इन्क़ेलाब के नारे सिर का दर्द हैं, रद्द करते हुए कहाः इन्क़ेलाब के लक्ष्यों व उमंगों की दिशा में बढ़ना, देश के हित में और उसके घावों के उपचार का साधन है।
इस्लामी क्रांति क सुप्रीम लीडर ने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह और इस्लामी क्रांति व पवित्र प्रतिरक्षा के शहीदों की पवित्र रूहों पर दुरूद व सलाम भेजते हुए शहीद सैयाद ख़ुदाई को श्रद्धांजलि पेश की जो तीन दिन पहले एक आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।
इस मुलाक़ात के आरंभ में मजलिसे शूरए इस्लामी के सभापति श्री डॉक्टर क़ालीबाफ़ ने पिछले दो साल में 11वीं संसद की कार्यवाहियों की एक रिपोर्ट पेश करते हुए, पाबंदियों को नाकाम बनाने पर ध्यान दिए जाने को संसद की मुख्य रणनीति बताया और कहाः संसद इस रणनीति के तहत, आर्थिक क़ानूनों में बदलाव के पैकेज को व्यवहारिक बनाने की कोशिश कर रही है।

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