۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
रहबर

हौज़ा/आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की टीचरों के साथ बातचीत,आप आइंदा नस्लों को रास्ता दिखाने वाले हैं, बच्चों में प्रतिरोध, आत्म विश्वास और क़ौमी पहिचान का जज़्बा पैदा कीजिए

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने शिक्षा व प्रशिक्षण विभाग को सभ्यता का निर्माण करने वाली नस्ल तैयार करने वाला संस्थान बताया और टीचरों की सेवाओं ख़ास तौर पर कोरोना महामारी के दौरान उनकी जिद्दो-जेहद की सराहना करते हुए उनकी आर्थिक मुश्किलों के हल किए जाने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि बच्चों और नौजवान नस्ल की इस तरह परवरिश होनी चाहिए कि उनमें क़ौमी और इस्लामी-ईरानी पहचान पैदा हो, उनमें आत्म विश्वास हो, वे प्रतिरोध करने वाले हों, इमाम ख़ुमैनी के विचारों व उद्देश्यों के जानकार हों, विद्वान और उपयोगी बनें।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने टीचरों को आइंदा नस्ल का मार्गदर्शन करने वाला बताते हुए कहाः टीचरों और शिक्षकों से मुलाक़ात का मक़सद, जनमत में उनके रोल को अधिक स्पष्ट करना और उस्ताद की अहमियत और क़द्र व क़ीमत को बढ़ाना और स्थायी बनाना है ताकि ख़ुद उस्ताद और उसके घरवाले भी उसके पेशे पर फ़ख़्र करें और समाज भी टीचर को एक क़ाबिले-फ़ख़्र शख़्स की नज़र से देखे।
सुप्रीम लीडर ने टीचर के अर्थ के दो अहम इस्तेमाल की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः “इल्म देने वाले शख़्स के अर्थ में टीचर की अहमियत बहुत ज़्यादा है, क्योंकि क़ुरआन की आयतों की नज़र से अल्लाह भी इल्म देने वाला और पैग़म्बर, सभी टीचर, दार्शनिक, विद्वान और शहीद मुतह्हरी जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां भी टीचर के इस महान स्थान से जुड़ी हैं।”
उन्होंने कहा कि टीचर के अर्थ का दूसरा इस्तेमाल जो सिखाने और प्रशिक्षण देने के काम से संबंधित है, शिक्षा देने के अलावा ज़्यादा ऊंची क़ीमत रखता है क्योंकि वह जिन लोगों को प्रशिक्षा देता है वह सीखने और प्रशिक्षा हासिल करने की बेहतरीन उम्र में होते हैं और उन पर प्रशिक्षा का असर दूसरे सभी लोगों से कहीं ज़्यादा होता है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने नई सभ्यता बनाने और उसे बढ़ावा देने के दीर्घकालीन लक्ष्य की ओर इशारा करते हुए कहाः मानव संसाधन, हर सभ्यता का इंफ़्रास्ट्रक्चर होते हैं और नई इस्लामी सभ्यता क़ायम करने वाले, उसी नस्ल क हिस्सा हैं जो इस वक़्त आप टीचरों को सौंपी गई है, इसलिए इस आयाम से टीचरों के काम की अहमियत और क़द्र-व-क़ीमत को समझना चाहिए।
इस्लामी क्रांति के नेता ने शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में कुछ बिन्दुओं का ज़िक्र करते हुए कहाः छात्र को चाहिए कि क़ौमी पहचान रखता हो और इल्म के झंडे को फहराने के साथ ही, उसे आत्मविश्वास के साथ क़ौमी और क़ाबिले-फ़ख़्र इस्लामी-ईरानी पहचान का झंडा भी फहराना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क्रांति के बाद अथक मेहनत करने वाले लोगों सहित मुल्क के क़ाबिले-फ़ख़्र लोगों से स्टूडेंट्स के अपरिचित रहने, इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के रहनुमा विचारों और क्रांति के महत्वपूर्ण लक्ष्यों के बारे में उनकी अज्ञानता और क्रांति की घटनाओं से उनकी अनभिज्ञता पर टिप्पणी करते हुए कहाः टीचरों को बच्चों और जवान नस्ल को इल्म देने के साथ ही इस तरह के विषयों को उनकी घुट्टी में शामिल कर देना चाहिए।
सुप्रीम लीडर ने प्रतिरोध की भावना को स्टूडेंट्स की एक और ज़रूरत बताते हुए कहाः ऐसी दुनिया में जहाँ पर हर कोई, चाहे पूरब हो या पश्चिम, धौंस जमा रहा है, अगली नस्ल को प्रतिरोध के जज़्बे की क़द्र व क़ीमत को अभी से समझ लेना चाहिए ताकि सभ्यता का निर्माण करने वाली इन शिक्षाओं की छांव में वे मुल्क व क़ौम का सिर बुलंद कर सकें।
इस्लामी क्रांति के नेता ने ग़ैर फ़ायदेमंद विषयों के बजाए महारत की शिक्षा के लिए कुछ घंटे विशेष किए जाने पर ताकीद करते हुए कहाः इस्लामी जीवन शैली, सामूहिक सहयोग, अध्ययन, रिसर्च, सामाजिक मुद्दों से निपटना, अनुशासन, क़ानून पर अमल जैसे मामले उन महारतों में शामिल हैं जिन्हें स्कूलों में सिखाया जाना चाहिए और बचपन और नौजवानी से ही ये चीजें लोगों की घुट्टी में पड़ जानी चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बच्चो और नौजवानों को मुल्क की संपत्ति और टीचरों के हाथों में मूल्यवान अमानतों क़रार देते हुए कहाः इन क़ीमती अमानतों को, धर्म पर आस्था रखने वाले दीनदार टीचरों की ट्रेनिंग और शिक्षा के ज़रिए ज्ञान व शिष्टाचार की नज़र से मूल्यवान लोगों में बदला जाना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने टीचरों की बेहतर आर्थिक हालत के बारे में अपनी निरंतर सिफ़ारिश को एक बार फिर दोहराते हुए कहाः सरकारी संसाधन की मुश्किलों के बावजूद, टीचरों की आर्थिक समस्याओं, इंश्योरेंस, रिटायरमेंट और इलाज जैसे विषयों पर ख़ास तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
इस मुलाक़ात के शुरू में शिक्षा मंत्री नूरी ने बदलाव के दस्तावेज़ पर अमल, साइबर स्पेस और नई टेक्नॉलोजी की क्षमताओं के शिक्षा व ट्रेनिंग के मैदान में इस्तेमाल, टीचरों की आर्थिक स्थिति और टीचरों के टीचिंग सोर्सेज़ में बद्लाव के हवाले से अपने मंत्रालय के प्रोग्रामों और उठाए गए क़दमों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।

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