हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दार अल-इफ्ता मिसर ने हज की रस्में निभाने के बाद जन्नत अल-बकी जाने के संबंध में बैतुल्लाह अल हरम के तीर्थयात्रियों के सवाल का जवाब दिया है।
तीर्थयात्रियों द्वारा पूछा गया प्रश्न, क्या हज की रस्में करने के बाद बाकी कब्रिस्तान में जाना जायज़ है? इसके जवाब में दारुल इफ्ता मिश्र ने अहम फतवा जारी किया है।
दार अल-इफ्ता मिसर ने एक फतवा जारी किया है और कहा है कि न्यायविद सहमत हैं कि हज की रस्मों को करने के बाद अहल अल-बैत अतहर (अ.स.) की कब्रों का दौरा करना मुस्तहब है।
दार अल-इफ्ता ने इब्न मौदुद अल-मसली अल-हनाफी को यह कहते हुए उद्धृत किया है: यह अनुशंसा की जाती है कि तीर्थयात्री, पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की कब्र पर जाने के बाद, बाकी कब्रिस्तान में जाएं और यात्रा करें शहीद हज़रत हमज़ा (अ.स.), इमाम हसन इब्न अली (अ.स.), इमाम ज़ैन अल-अबिदीन (अ.) हज़रत इब्राहिम, पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) के पुत्र।
दार अल-इफ्ता मिसर ने आगे कहा है कि हज की रस्मों को पूरा करने के बाद बाकी कब्रिस्तान में जाना जायज़ है, क्योंकि बाक़ी कब्रिस्तान का दौरा करना अन्य मामलों से बेहतर है और यह अधिनियम हज के धन्य दिनों के लिए आरक्षित है।