۵ آذر ۱۴۰۳ |۲۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 25, 2024
सफ़रे इश्क

हौज़ा / हुसैनी संस्कारों का पुनः प्रवर्तन और उसको बाकी रखना आस्था का एक हिस्सा है। इसके पुनः प्रवर्तन मे कलमा ए ला एलाहा इल्लल्लाह मोहम्मदुर रसूलुल्लाह का पुनः प्रवर्तन है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हजरत आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफिज बशीर हुसैन नजफी ने आज लाखों तीर्थयात्रियों के साथ पवित्र शहर कर्बला की यात्रा की।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ने कहा कि हम इन संस्कारों को हर हाल में बाकी रखेंगे, जिसके लिए हम सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार हैं,  दुनिया और इतिहास अच्छी तरह से जानते हैं कि इमाम हुसैन (अ.स.) के संस्कारो को मानवता और इतिहास के दुश्मन मिटाने की शक्ति नही रखते। उन्होने कहा हुसैनी संस्कारों का पुनः प्रवर्तन और उसको बाकी रखना आस्था का एक हिस्सा है। इसके पुनः प्रवर्तन मे कलमा ए ला एलाहा इल्लल्लाह मोहम्मदुर रसूलुल्लाह का पुनः प्रवर्तन है।

नजफ अशरफ से पवित्र शहर कर्बला के रास्ते पर, तरीक़े या हुसैन (अ.स.) पर हौज़ा ए इल्मिया के विद्वानों और तीर्थयात्रियों के साथ एक बैठक में शामिल हुए और पत्रकारों को दिए अपने बयान में कहा कि इमाम हुसैन (अ.स.) विश्वास, एकेश्वरवाद और भविष्यवाणी का हिस्सा जिसे इसे कभी अलग नहीं किया जा सकता है, इसलिए हम सभी को अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि सुंदर संस्कारों का पुनरुत्थान विश्वास का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि सच्चाई और झूठ की लड़ाई चल रही है और अभी भी पूरे इतिहास में चल रही है। बनी उमय्या में पूर्ण झूठ सामने आया है और वे झूठ का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं जबकि इमाम हुसैन (अ.स.) के मुवाफिक़ और अनके अनुयायियों में हक़ स्पष्ट हैं। चाहे जो भी ज़माना हो चाहे कितने ही ज़माने बीत जाए लेकिन हक का शीर्ष हमेशा बुलंद था और बुलंद रहेगा।

इमाम हुसैन (अ.स.) का मार्ग रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) का मार्ग है। इमाम हुसैन (अ.स.) रसूलुल्लाह का मार्ग छोड़ने के बजाए उस डट गए और बनी उमय्या के सामने सीसा पिलाई दीवार बनकर डटे रहे। और हयहात मिन्नज़्ज़िल्ला (ज़िल्लत हमसे दूर है) का नारा लगाया। इसलिए, हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि पैगंबर (स.अ.व.व.) और इमाम हुसैन (अ.स.) द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते रहें। 

आयतुल्लाहिल उज़्मा ने ईमान वालों से हुसैनी संस्कारों का पालन करने और इसे बाकी रखने का आह्वान किया, क्योंकि असत्य पर सत्य की जीत हमारे अस्तित्व और हमारे भविष्य के अस्तित्व पर निर्भर करती है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ने तीर्थयात्रियों को इस सेवा की सफलता पर बधाई दी और कहा कि यह इस दुनिया और परलोक में एक बड़ा सम्मान है।

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