हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बहरैन के मौलवी आयतुल्लाह सैयद अब्दुल्लाह ग़रीफ़ी ने हुसैनिया "अल-मारख" में एक भाषण के दौरान कहा कि "सलाम या महदी" (अनुवादः सलाम फ़रमांदे) एक विशुद्ध धार्मिक तराना है और यह लोगों को अपनी मान्यताओं को व्यक्त करने का अधिकार है।
उन्होंने आगे कहा: हज़रत साहिब-उल-ज़मान की समस्या आतंकवाद की समस्या नहीं है, बल्कि विश्व शांति की समस्या है।
आयतुल्लाह ग़रीफ़ी ने कहा कि इस तराने में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राष्ट्रीय सुरक्षा या उम्मा की एकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सके, साथ ही कहा: हम उन सभी मुद्दों के खिलाफ हैं जो सांप्रदायिकता, संघर्ष और मतभेदों को बढ़ाते हैं।
बहरैन के इस विद्वान ने कहा: हम अली इब्न अबी तालिब (अ.स.) के रास्ते से किसी को भी इस देश या किसी अन्य देश में संघर्ष और अराजकता पैदा करने की अनुमति नहीं देंगे। हम सुरक्षा, शांति और एकता के हिमायती हैं और यह इमाम अली बिन अबी तालिब (अ.स.) का तरीका है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बहरैन में आले-खलीफा सरकार ने बहरैन में सलाम फरमांदे के गायन पर अपनी नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिया था।
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