۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
हसन नसरूल्लाह

हौज़ा / हिजबुल्लाह प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह ने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति 42 साल पुरानी है और इसकी बदौलत ईरान ने इतनी प्रगति और विकास किया है कि आज देश इस क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति बन गया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी क्रांति की 42 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, हिजबुल्लाह प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह ने कहा कि इस्लामी क्रांति की बदौलत ईरान इस क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति बन गया है। क्रांति के कारण इस देश ने विभिन्न विभागो मे प्रगति और विकास किया है। हिज़्बुल्लाह प्रमुख ने ज़ायोनी शासन को आग से नहीं खेलने की चेतावनी दी है और नए अमेरिकी प्रशासन को आईएसआईएस को पुनर्जीवित करने की कोशिश नहीं करने की चेतावनी दी है।

14 फरवरी को बहरैन की इस्लामी क्रांति की वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए, हिजबुल्लाह के प्रमुख ने कहा कि बहरैन के लोगों ने स्वतंत्रता के लिए अनगिनत बलिदान दिए हैं और मैं बहरैन के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख आयतुल्लाह शेख इसा कासिम को सलाम करता हूं।

उन्होंने कहा कि हमें इजरायल के खिलाफ लड़ाई में शेख रागेब हरब के रुख की जरूरत है, हमें इस्लामिक प्रतिरोध की प्रगति के लिए इमाद मुगनिया की शहादत की भावना की जरूरत है, हमें शहीद सैयद अब्बास मौसवी और सभी शहीदों की इच्छा की जरूरत है। हम देश और देश के लिए इजरायल द्वारा उत्पन्न खतरे में किसी भी तरह से लापरवाही नहीं करेंगे।

लेबनान के आंतरिक मामलों का उल्लेख करते हुए, सैयद हसन नसरल्लाह ने कहा कि एक समूह का कार्य केवल  हिजबुल्लाह को गालीया बकना और अपमान करना है और हम अपने समर्थकों को सलाह देते हैं कि वे किसी भी मामले में इस समूह का मुकाबला न करें। क्योंकि उनका हमारे साथ दुर्व्यवहार करना उनकी विफलता और हमारी सफलता का प्रमाण है, उनके सभी आरोप मानव और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ हैं, हम हर क्षेत्र में मजबूत और शक्तिशाली हैं और उत्पीड़ित भी और अल्लाह सर्वशक्तिमान ने वादा किया है कि वह दीन के साथ है, उसका वादा कभी झूठ नहीं हो सकता।

उन्होंने आगे कहा यमन के खिलाफ युद्ध के संबंध मे अमेरिका योजनाओ की ओर संकेत करते हुए कहा तेल अवीव और रियाद को यमन के संबंध से गहरी चिंता है क्योकि यमन की जनता ने अपने प्रतिरोध से उनकी सारी  योजनाओं को विफल कर दिया था।

अंत मे, बहरैन, यूएई, सूडान और मोरक्को के स्व-घोषित ज़ायोनी राज्य के साथ संबंधों को फिर से शुरू करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इजरायलियों ने इस मुद्दे पर अतिशयोक्ति की है, लेकिन इस संबंध में, प्रतिरोध के मोर्चे के लिए क्या है? क्या मायने रखता है। यह इन देशों के लोगों का है न कि इन देशों के शासकों का। क्योंकि बहरैन, सूडान और इस क्षेत्र के अन्य देशों की स्थिति इन देशों के अधिकारियों के पदों के विपरीत है।

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