हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली (अ.स.) की जयंती के अवसर पर आयोजित एक वर्चुवल कार्यक्रम में आयतुल्लाह मुर्तज़ा मुक़्तदाई ने इन खुशि के क्षणो में देश भर के धार्मिक स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों को बधाई दी।
उन्होंने कहा: क़ाबे में अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली (अ.स.) का जन्म एक ऐसा गुण है जो हज़रत अली (अ.स.) के पहले किसी को भी हासिल नहीं हुआ और न ही उनके बाद कोई इस ख़ुशी को हासिल करेगा।
आयतुल्लाह मुक़तदाई ने इमाम रज़ा (अ.स.) के एक कथन जो उन्होंने इमाम सज्जाद (अ.स.) से सुना है का उल्लेख करते हुए, है कहा: हज़रत फ़ातिमा बिन्ते असद (स.अ.) ने मस्जिदुल हराम में प्रवेश किया और परिक्रमा (तवाफ) करने के लिए कबा के निकट गई। काबे की दीवार मे द्वार प्रकट हुआ, हज़रत अली (अ.स.) की माँ ने क़ाबाे मे प्रवेश किया और वहाँ हज़रत अली इब्नने अबी तालिब (अ.स.) का जन्म हुआ।
तेहरान में धार्मिक स्कूलों के नीति-निर्माण परिषद के प्रमुख ने कहा: यह एक ऐसा गुण है जो हज़रत अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) के लिए अद्वितीय है। इमाम अली (अ.स.) के पहले या बाद के किसी को भी काबे में पैदा होने का सौभाग्य प्राप्त नही हुआ।
हज़रत अली (अ.स.) के इस गुण से लोगों को अवगत कराने की आवश्यकता है ताकि वे जान सकें कि हज़रत अली इब्नने अबी तालिब (अ.स.) का ईश्वर के निकट क्या स्थान है।
उन्होंने कहा: अहलुल बेत (अ.स.) से और विशेष रूप से हज़रत अली इब्नने अबी तालिब (अ.स.) से तवस्सुल करने के कई आसार हैं और इसके माध्यम से हमारी समस्याओं को हल किया जा सकता है और हमारी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है क्योंकि शियाओ के लिए अहलेबैत गर्व करने के योग्य है।
आयतुल्लाह मुक़्तदाई ने कहा: हमें अहलेबैत (अ.स.) की बात माननी चाहिए और हमे ऐसे कार्य करने चाहिए जिन के माध्यम से अहलेबैत (अ.स.) हम से खुश हो। हम अली (अ.स.) के समान नहीं बन सकते हैं और उनकी तरह एक रात में एक हज़ार रकअत नमाज़ अदा नही कर सकते हैं, लेकिन कम से कम हम समय के साथ अपनी वाजिब नमाज़ अदा कर सकते हैं।
आयतुल्लाह मुक़्तदाई ने कहा: अमीरुल मोमेनीन अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) उन लोगों से घृणा और क्रोध करते हैं जो भगवान की अवज्ञा करते हैं। खुदा न करे हम अली के शिया होने का दावा तो करें लेकिन हमारा अमल ऐसा हो कि वो हमसे घृणा करे।
उन्होंने अंत में कहा: यदि हमारे कर्म और कार्य ऐसा हो जेसा अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) चाहते हैं, तो ईश्वर की कृपा से हमारा अंत अच्छा होगा।