हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यह मजलिस हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन रफ़ीई ने पढ़ी। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आख़री पलों में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ओर से दुश्मन के लश्कर से किए गए तारीख़ी संबोधन का हवाला दिया जिसमें इमाम हुसैन ने कहा था कि अगर तुम्हारे पास दीन नहीं है तो कम से कम अपने दुनियावी मामलों में आज़ाद रहो। डाक्टर रफ़ीई ने कहा कि आज़ादी का मतलब है।
अपनी आंतरिक इच्छाओं और वासनाओं से आज़ादी और आज़ाद इंसान की पांच विशेषताएं और निशानियां हैं। लोगों को आतंकित करने से दूरी, हया और पाकदामनी, धोखे और विश्वासघात से दूरी, हलाल माल कमाने की कोशिश और सार्वजनिक अधिकारों का सम्मान।
इस मजलिस में जनाब महमूद करीमी ने शामे ग़रीबां के मसाएब पढ़े और नौहाख़ानी की।