۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
تراب

हौज़ा/उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में मौलाना अबू तुराब अली नकव़ी ने माहे मोहर्रम की मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि हज़रत इमाम हुसैन अ.स की ज़ियारत दौलत से नसीब नही होती है ज़ियारत किस्मत से हासिल होती है। ज़ियारत पर वो ही इंसान जाता है जिसे इमाम हुसैन बुलाते हैं वरना दुनियां में बहुत सारे दौलत मंद है जिन्हें ज़ियारत करना नसीब नही हुई

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , सिद्धार्थनगर,हज़रत इमाम हुसैन अ.स की ज़ियारत दौलत से नसीब नही होती है ज़ियारत किस्मत से हासिल होती है। ज़ियारत पर वो ही इंसान जाता है जिसे इमाम हुसैन बुलाते हैं वरना दुनियां में बहुत सारे दौलत मंद है जिन्हें ज़ियारत करना नसीब नही हुआ कि वह ज़ियारत कर सकें। वहीं दुनिया मे उसी जगह बहुत सारे गरीब है कि उनके पास खाने को हकीकत कहा जाए कि उनके पास पैसे नही हैं लेकिन हुसैन का करम होता है कि हुसैन अपने दर पर उन लोगों को बुला लेते हैं।
उक्त उदगार तहसील क्षेत्र के शिया बाहुल्य कस्बा स्थित वक्फ शाह आलमगीर सानी में मोतवल्ली नौशाद हैदर रिज़्वी एडवोकेट के ज़ेरे निगरानी में आयोजित सालाना अशरे की पांचवी मजलिस को संबोधित करते हुए मुजफ्फरपुर बिहार से आये मौलाना अबू तुराब अली नक़वी ने कही। उन्होंने कहा कि ज़ियारत का ताल्लुक किस्मत से है ज़ियारत का ताल्लुक तड़प से है कि कौन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से कितनी मोहब्बत रख रहा है कौन अपने दिल मे कितनी तड़प रख रहा है और जितनी तड़प होती है इमाम हुसैन उसी के मुताबिक अपने जायरीन को अपने दयार पर बुलाते है और ज़ियारत का शरफ़ बख्शते हैं।

रहा मसला उसकी फ़ज़ीलत के हवाले से तो मासूमीन की बहुत सारी रवायतें है तो पहली रवायत यह है कि ज़ियारत इमाम हुसैन के लिए ज़ियारते कब्रे इमाम हुसैन के लिए अम्बिया और फरिश्तो रवायतों के ये जुमले कि कोई ऐसा फरिश्ता नही है या कोई भी नबी ऐसा नही है कि वो इंतेज़ार में न रहता हो कि खुदा उसे इजाज़त दे और वह कब्रे इमाम हुसैन की ज़ियारत करने के लिए जाए।

दूसरी रवायत यह है कि इमाम हुसैन की जो कब्र है ये मलाइका के तवाफ़ की जगह है मलायका आते है और तवाफ़ करते है। ज़रा सोचो जिस जमीन पर अम्बिया आना अपना शरफ़ मानते हो फरिश्ते आना अपना मुकद्दर मानते हैं उस ज़मीन पर हम जैसे लोग चले जाएं तो क्या इमाम हुसैन अपनी अता, अपनी नेमते हमारे ऊपर नही बरसायेंगे। आखिर में इमाम हुसैन के छः माह के बेटे अली असग़र के मसाएब कुछ इस अंदाज में बयान किया कि मौजूद लोगों में कोहराम मच गया।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .