۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
समाचार कोड: 385057
22 जनवरी 2023 - 08:42
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हौज़ा / हिज़ाब पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय रहा है और इस प्रकार मुस्लिम महिलाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके इस्लामी शिक्षाओं को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।

हौजा न्यूज एजेंसी

लेखक: अज़मत अली
हिजाब पिछले कुछ सालों से वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है और मुस्लिम महिलाओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर इस्लामी शिक्षाओं को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। सिलसिला पुराना है लेकिन हाल के दिनों में इसने रफ्तार पकड़ी है। पाकिस्तान में औरत मार्च के नाम से हिजाब और महिलाओं की आजादी के आंदोलन को आगे बढ़ाया जा रहा है। विकीपीडिया के मुताबिक पाकिस्तान में 8 मार्च 2018 को औरत मार्च मनाया गया था। उसके बाद से यह आंदोलन लगातार जोर पकड़ रहा है।

ईरान में पिछले तीन महीने से हिजाब का मस्अला एक बड़ी चुनौती बन गई है। सरकार और जनता आमने सामने आ गई है। देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए और अंत में इन विरोधों के कारण देशद्रोह और दंगे हुए जिसमें सरकार और जनता दोनों को जान और धन की हानि उठानी पड़ी। दोनों और से खून बहाया गया। पुलिस और जनता का भी खून बहा है। देश में असुरक्षा की भावना पैदा हुई, लेकिन अब स्थिति में सुधार हो रहा है।

इसी तरह एक महीने पहले अफगानिस्तान में तालिबान ने हिजाब को सख्ती से अनिवार्य कर दिया और मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया, जिससे हिजाब चर्चा का विषय बन गया।

इस्लामिक देशों के अलावा भारत में भी कुछ महीनों से अलग-अलग जगहों पर मुस्लिम लड़कियों के हिजाब को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 8 फरवरी, 2022 को कर्नाटक के उडुपी में एक हिजाब विवाद छिड़ गया, जहां हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को एक स्कूल में प्रवेश करने से रोक दिया गया। उसके बाद यह सिलसिला कई हफ्तों तक स्कूल और जिला प्रशासन के बीच अनसुलझी समस्या बना रहा। हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

हाल ही में यूपी के मुरादाबाद के एक स्कूल में मुस्लिम लड़कियों के स्कूल कैंपस में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन इस विरोध ने प्रशासन की कोशिशों पर पानी फेर दिया और कानून का राज साबित हो गया है। इस्लामिक देशों में भी हिजाब को लेकर आवाज उठ रही है वहां की महिलाएं भी अब हिजाब से खफा नजर आ रही हैं।

इन सब बातों का संक्षिप्त उत्तर यह है कि हिजाब इस्लामी कानून का एक हिस्सा है। इसमें कोई संदेह नहीं है। अब हिजाब की प्रकृति और स्थिति क्या होगी, आमतौर पर यह कहा जाता है कि स्कार्फ मुस्लिम महिलाओं के लिए काफी है। इस्लामिक देशों में सबसे ज्यादा स्कार्फ का इस्तेमाल होता है। वहां पूरा चेहरा खुला हुआ होता है। हिजाब न तो किसी शैक्षिक या सामाजिक मार्ग में बाधक है और न ही यह महिलाओं की आजादी के खिलाफ है। हर धर्म और समाज के अपने नियम होते हैं जिन पर व्यक्ति अपना जीवन व्यतीत करता है। हिजाब कभी किसी के लिए समस्या नहीं बना, लेकिन आज यह समस्या क्यों बनता जा रहा है?वैश्विक अहंकार और दुश्मनों ने हमेशा इस्लाम को कलंकित करने और मुसलमानों को तिरस्कृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछले कुछ सालों से मुसलमान इस शख्स को आतंकवादी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन नाकाम रहे हैं। अब वे हिजाब की आड़ में मुस्लिम छात्रों और महिलाओं को शिक्षा और विकास से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

नोटः लेखक के जाती विचार है हौजा न्यूज़ एजेसी का लेखक के विचारो से सहमत होना ज़रूरी नही है।

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