हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली नके अनुसंधान एवं संकलन विभाग/इंटरनेशनल नूर माइक्रोफिल्म सेंटर दिल्ली का दौरा करते हुए मौलाना शहवार हुसैन नक़वी अमरोहवी ने संस्थान की शैक्षणिक सेवाओं की काफी सराहना की। मौलाना नकवी ने यहां शोध कार्यों का गहराई से अध्ययन किया और संस्था के विभिन्न कार्यों जैसे "इजाज़ात उलमा ए हिंद", "दाएरतुल मआरिफ़ नजूम अल हिदायत" और "तारीख मदारिस" की सराहना की।
भारतीय विद्वानों के अवशेषों का संरक्षण इस संस्था की विशिष्टता है
उन्होंने आगे कहा कि इस संस्था का भारत के बुद्धिजीवियों और विद्वानों पर उपकार है, जिन्होंने विद्वानों और बुद्धिजीवियों के कार्यों की रक्षा की, जिसके कारण यह संस्था भविष्य के शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए ज्ञान की विरासत मानी जाएगी।
इंटरनेशनल नूर माइक्रोफिल्म सेंटर ने विज्ञान और अनुसंधान में नए मानक स्थापित किए हैं जो सांस्कृतिक विरासत शोधकर्ताओं के लिए एक मील का पत्थर साबित होंगे
मौलाना ने कहा कि इस संस्थान की शोध सेवाएं अपने आप में अनूठी हैं और यह डॉ. मेहदी ख्वाजा पीरी के प्रयासों का प्रमाण है, जिन्होंने विज्ञान और अनुसंधान की दुनिया में एक नया मानक स्थापित किया है। उनके अनुसार, यह शोध कार्य न केवल ज्ञान और साहित्य के दायरे को व्यापक बनाता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मूल्यवान संपत्ति साबित होगा।
संस्था का शोध कार्य बुद्धिजीवियों पर उपकार है
डॉ. मेहदी ख्वाजा पीरी के नेतृत्व में संस्थान ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शोध कार्य किए हैं, जो भारतीय बौद्धिक विरासत को संरक्षित करने और इसे दुनिया से परिचित कराने में एक मील का पत्थर है।
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