۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / मुसलमानों को शुद्ध नेमतों और खाने को हराम घोषित नहीं करना चाहिए और न ही खुद को इसके लाभ से वंचित रखना चाहिए। इंसानों को ईश्वरीय आशीर्वाद और खाद्य पदार्थ देने का असली मकसद यह है कि मोमिन इन नेमतों से लाभान्वित हों।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُلُوا مِن طَيِّبَاتِ مَا رَزَقْنَاكُمْ وَاشْكُرُوا لِلَّـهِ إِن كُنتُمْ إِيَّاهُ تَعْبُدُونَ  या अय्योहल लज़ीना आमनू कुलू मिनत तय्येबाते मा रज़क़नाकुम वश्कोरू लिल्लाहे इन कुंतुम इय्याहो ताबोदून (बकरा, 172)

अनुवाद: हे विश्वासियों! खाओ उन पवित्र चीज़ों में से जो हमने तुम्हें दी हैं। और अल्लाह का शुक्र है। अगर आप उसकी इबादत करते हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  हलाल खाद्य पदार्थों का सेवन करने की अनुमति है।
2️⃣  मुसलमानों को चाहिए कि शुद्ध नेमतो और खाने को हराम न घोषित करें और खुद को उनके लाभ से वंचित न करें।
3️⃣  मनुष्यों को ईश्वरीय आशीर्वाद और भोजन देने का वास्तविक उद्देश्य यह है कि विश्वासियों को इन आशीर्वादों से लाभ हो।
4️⃣  खाद्य पदार्थों में आधार और मुख्य नियम यह है कि वे शुद्ध और हलाल हों।
5️⃣  खराब खाद्य पदार्थों का सेवन करना मना है।
6️⃣  इस्लाम भोजन में स्वच्छता के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करता है।
7️⃣  परम पावन में कृतज्ञ होना और उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देना महत्वपूर्ण है।
8️⃣  खुद पर अल्लाह की नेअमत को हराम बता कर ज़ुह्द करना गलत और बेकार है।

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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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