हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; अत्तार क़ुरान: तफ़सीर सूरह बकराह
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
الشَّهْرُ الْحَرَامُ بِالشَّهْرِ الْحَرَامِ وَالْحُرُمَاتُ قِصَاصٌ ۚ فَمَنِ اعْتَدَىٰ عَلَيْكُمْ فَاعْتَدُوا عَلَيْهِ بِمِثْلِ مَا اعْتَدَىٰ عَلَيْكُمْ ۚ وَاتَّقُوا اللَّـهَ وَاعْلَمُوا أَنَّ اللَّـهَ مَعَ الْمُتَّقِينَ अश शहरुल हरामो बिश शहरिल हरामे वलहोरोमातो क़ेसासुव फमन एअदता अलैकुम फाअतदू अलैहे बेमिस्ले मा एअतदा अलैकुम वत्तक़ूल्लाहा वाअलमू अन्नल्लाहा मअल मुत्ताक़ीना (बकराह, 194)
अनुवाद: पवित्र महीने का बदला पवित्र महीना है, और पवित्र महीनों में बदला है, इसलिए जो कोई तुम पर अत्याचार करेगा, उसी प्रकार उसने तुम पर अत्याचार किया, और अल्लाह (की अवज्ञा से डरो)। और समझ लो कि अल्लाह निश्चय ही परहेज़गारों के साथ है।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ सम्मानित "हराम" महीनों में लड़ना मना है।
2️⃣ यदि निषिद्ध महीनों के दौरान शत्रु अतिक्रमण करता है, तो युद्ध करना जायज़ है।
3️⃣ बेसत युग के काफिर भी निषिद्ध महीनों की पवित्रता तथा इन महीनों में युद्ध के निषेध के प्रति आश्वस्त थे।
4️⃣ यदि दुश्मन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम कानूनों का उल्लंघन करता है, तो इन कानूनों को तोड़ना जायज़ है।
5️⃣ दुश्मन के अतिक्रमण का मुकाबला करना और उसका जवाब देना जायज़ है।
6️⃣ ईमानवालों की जिम्मेदारी है कि दुश्मन को जवाब देते हुए भी तक़वा का पालन करें।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा