हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنِ انتَهَوْا فَإِنَّ اللَّـهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ इन इन्तहो फ़इन्नल लाहा ग़फ़ूरुर रहीम (बकराह, 192)
अनुवाद: फिर अगर वह लोग बाज़ आ जाएं तो अल्लाह बड़ा माफ करने वाला और रहम करने वाला है।
कुरआन की तफसीर:
1️⃣ जो काफ़िर युद्ध और देशद्रोह में शामिल नहीं होते, उनसे न तो लड़ना चाहिए और न ही उन्हें मारना चाहिए।
2️⃣ यदि काफिर युद्ध समाप्ति की घोषणा करें तो मुसलमानों को इसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
3️⃣ ईमान सभी को स्वीकार्य है, यहां तक कि अविश्वासियों को भी।
4️⃣ अगर अविश्वासियों पर विश्वास आ जाए तो उन्हें उनकी पिछली गलतियों का दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
5️⃣ विश्वास करने के बाद अविश्वासियों की क्षमा ईश्वर की दया और क्षमा की अभिव्यक्ति है।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा