۱۸ تیر ۱۴۰۳ |۱ محرم ۱۴۴۶ | Jul 8, 2024
मौलाना फ़ज़ल मुमताज़

हौज़ा / अगर इमाम हुसैन के फ़र्शे अज़ा से हमें नफरत और जुल्म का विरोध नहीं महसूस होता तो हमें अपनी आत्मा की स्थिति पर विचार करना चाहिए।

हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इमाम हुसैन के फर्श उजा से नफरत और जुल्म के खिलाफ विरोध की भावना पैदा नहीं होती है तो हमें अपनी आत्मा की स्थिति पर विचार करना चाहिए। मेहमान जाकिर मौलाना फजल मुमताज ने कहा कि कर्बला का असली संदेश है उस स्थान पर पहुंचें जहां मानव आत्मा किसी के प्रति किसी भी प्रकार का अन्याय और क्रूरता बर्दाश्त न कर सके। मजलिस को ख़िताब करते हुए कुरान के 'सूरह कहफ' के तहत जिसे इमाम हुसैन के कटे हुए सिर ने कूफा और सीरिया के बाजारों में पढ़ने के लिए चुना था।

मौलाना ने मैदान कर्बला में लश्कर यजीद को संबोधित इमाम हुसैन के एक उपदेश का जिक्र करते हुए कहा कि इमाम हुसैन की आखिर तक यही मंशा थी कि लश्कर-ए-आदा के सैनिक खुद को पाक कर लें और गुनाहों के दलदल में डूबने से बच जाएं। मौलाना फजल मुमताज ने कुरान की विभिन्न आयतों के प्रकाश में मानव आत्मा की उन्नति और अवनति के कारणों का वर्णन कीजिए।

उन्होंने कहा कि मनुष्य का स्वयं पर नियंत्रण है, वह चाहे तो उसे विकसित कर कमाल तक पहुंच सकता है और चाहे तो उसे पतन के रास्ते पर लाकर नीचता के दलदल में डुबा सकता है।

मौलाना फजल मुमताज ने कहा कि कर्बला में खुद को बढ़ावा देने वाले भी थे और खुद को गिराने वाले भी थे, खुद को दीनता से कमाल ओर लाने वाले हरगाजी के रूप में मौजूद थे। 

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