۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
मौलाना ज़ाफर

हौज़ा/22 सफ़र मजलिस को संबोधित करते हुए धार्मिक मौलाना सैय्यद जाफर रिज़वी साहब ने कहा;यजीद के सामने उसी के दरबार में अपनी फतह मनवाना यह इमाम ए सज्जाद का कमाल था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मुजफ्फनगर तिस्सा /22 सफ़र मजलिस को संबोधित करते हुए धार्मिक विद्वान मौलाना सैयद जाफर रिज़वी साहब ने कहा कि 46 साल तक इस्लाम के ख़िलाफ़ साज़िश ए रची गई इस्लाम धर्म को बुरा कहा जाता रहा इस्लाम के खिलाफ प्रोपगंडें किए जाते रहे यजीद आतंकवादी सुबह आशूर तक कोशिश करता हुसैन मेरी बेयत कर लें लेकिन हुसैन ने बेयत ए यजीद को इनकार किया जो कमायत तक सुनहरे लफ्जो में हर कलम दावत यही लिखेगा,कि बातिल के सामने हुसैन नहीं झुके और अपना सब कुछ अल्लाह की रज़ा की खातिर फ़िदा कर दिया

मौलाना ने कहा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद हुसैन के बेटे ने यज़ीद के दरबार में यज़ीद के सामने खुतबा देकर इमाम ए हुसैन के मक़सद को हुसैन कि फतह को इमाम सज्जाद ने दरबार में तमाम लोगों और यजीद ने जिन पत्रकारों को बुला रखा था खुतबा दिया, में उसका बेटा हूं जिस पर क़ुरान नाज़िल हुआ,में मरवा और सफा का बेटा हूं जो रसूल की बेटी फातिमा हैं में उनका बेटा हूं मेरे दादा अली हैं, में हुसैन ए शहीद का बेटा हूं जिसको कर्बला में बे जूर्मो खता तीन दिन का भूका पियासा शहीद कर दिया गया,
प्रसिद्ध धर्मगुरु जाफ़र रिज़वी साहब ने ज़ोर देते हुए कहा यह सुनकर यजीद डरा और अज़ान का हुक्म दिया मोअज्जीन ने अज़ान शुरू की मोअजजिन ने जैसे ही मोहम्मद का नाम लिया तो  इमाम सज्जाद ने कहा मोअजजिन तुझे इस नाम का वास्ता रुक जा और  मौला सज्जाद  ने कहा यजीद अगर  अज़ान में ये नाम जो लिया जा रहा यह तेरे जद थे या मेरे जद अगर तेरे जद थे तू जीता और अगर मेरे जद थे तो हुसैन जीत गए बस इतना सुनना था दरबार का नक्शा बदल गया जो बैठे हुए लोग यजीद की तारीफ़ कर रहे थे वो यजीद के ख़िलाफ़ बोलने लगे, मौलाना ने कहा यजीद के सामने उसी के दरबार में अपनी फतह मनवाना ये इमाम ए सज्जाद का कमाल था।

अंत में मौलाना ने इमाम सज्जाद से जनाब ए सकीना की गुफ्तगू और वसीयत बयान कि व कर्बला से लेकर शाम तक की  अहले हरम की मुसीबतें सुनाई तो मजलिस में मौजूद मर्द और औरत फूट फूट कर रोने लगें
इस के बाद अंजुमन ए अब्बासिया तिस्सा सादात ने नोहा खवानी की और मुजफ़्फ़र नगर से आए मशहूर नोहाखवा जनाब शबी अब्बास आरफी ने भी नोहे पढ़े और इमाम ए ज़माना को उनके घर का पुर्सा दिया।

इस कार्यक्रम की निजामत होजा न्यूज एजेंसी के पत्रकार अतश कर्बलाई ने की।

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