हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि वो इस क़ानून को संविधान कोर्ट में चुनौती देंगे। संगठनों के बयान में कहा गया है कि इस क़ानून को पास करने के लिए जो पैमाने सामने रखे गए हैं उनमें कई तो ग़ैर संवैधानिक हैं।
बयान में उस तोड़ फोड़ की निंदा ही की गई है जो क़ानून पास होने के बाद की गई थी संगठनों के वकील का कहना है कि इस क़ानून से कई तरह के संदेह जन्म लेते हैं।
सात सितम्बर को यह क़ानून पास होने के साथ ही सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थियों के परिजनों ने प्रदर्शन किए थे और सोशल मीडिया पर इस क़ानून के ख़िलाफ़ अभियान शुरू कर दिया गया था।
17 सितम्बर को होने वाले प्रदर्शन में कथोलिक ईसाइयों के संगठन के प्रमुख एलन स्कड ने कहा कि नया अंतर्राष्ट्रीय यौन सिस्टम थोपने वाले क़ानून को हम ख़ारिज करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह लोग आपके पांच साल के मासूम बच्चे के साथ खिलौने की तरह बरताव करना चाहते हैं।
परिवारों का कहना है कि यौन विषय के बारे में जो भी बातचीत है वो परिवारों के भीतर होनी चाहिए स्कूलों में इसकी ज़रूरत नहीं है।