۸ مهر ۱۴۰۳ |۲۵ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 29, 2024
हज

हौज़ा/सुप्रीम लीडर ने हज संस्था के अधिकारियों, कर्मचारियों और कुछ हाजियों से मुलाक़ात में हज के बारे में सही नज़रिए और इस अहम फ़रीज़े के बारे में सही समझ पर बल दिया और कहा कि हज एक विश्वस्तरीय व सभ्यता से संबंधित विषय है जिसका मक़सद इस्लामी जगत का उत्थान, मुसलमानों के दिलों को एक दूसरे के क़रीब लाना और कुफ़्र, ज़ुल्म, साम्राज्यवाद, इंसानी और ग़ैर इंसानी बुतों के ख़िलाफ़ इस्लामी जगत की एकता हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज संस्था के अधिकारियों, कर्मचारियों और कुछ हाजियों से मुलाक़ात में हज के बारे में सही नज़रिये और इस अहम फ़रीज़े के बारे में सही समझ पर बल दिया और कहा कि हज एक विश्वस्तरीय व सभ्यता से संबंधित विषय है।

जिसका मक़सद इस्लामी जगत का उत्थान, मुसलमानों के दिलों को एक दूसरे के क़रीब लाना और कुफ़्र, ज़ुल्म, साम्राज्यवाद, इंसानी और ग़ैर इंसानी बुतों के ख़िलाफ़ इस्लामी जगत की एकता है।

उन्होंने क़ुरआन की आयतों के मद्देनज़र काबे को मानव समाजों की इमारत के क़ायम रहने का साधन क़रार दिया और हज के दुनिया और परलोक के फ़ायदों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर हज न हो तो इस्लामी जगत बिखर जाएगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने हज को वैश्विक मिलन की जगह क़रार दिया और इस संबंध में क़ुरआन की आयत का हवाला देते हुए कहा कि हज के लिए सभी इंसानों को दावत दी गयी है। उन्होंने कहा कि सभी इंसानों को इतिहास के हर दौर में एक ख़ास जगह पर, ख़ास दिनों में इकट्ठा होने की दावत बहुत अहम मक़सद और बहुआयामी हितों का पता देती है जो अल्लाह की इस दावत में मौजूद हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई का कहना था कि इस्लामी जगत में एकता और साम्रज्यवादी शैतानों से मुक़ाबला उनके मक़सद का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हज के अनेक फ़ायदों में एक यह है कि इस महा सम्मेलन में मुसलमान ज़ायोनी सरकार और साम्राज्यवादी ताक़तों की दख़ल अंदाज़ी के ख़िलाफ़ अपनी लामबंदी और ताक़त का प्रदर्शन करें और दुनिया के ज़ालिमों के सामने सीना तान कर खड़े हो जाएं।
उन्होंने हज से परलोक में मिलने वाले फ़ायदों का ज़िक्र करते हुए हज के हर अमल को आध्यात्मिक व रूहानी दुनिया में खुलने वाली एक खिड़की बताया और हाजियों से कहा कि मुनाजात, दुआ, ख़ुलूस और बंदगी के ज़रिए मन को हर उस चीज़ से पाक कर लीजिए जो अल्लाह की याद में रुकावट पैदा करे।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दुनिया के मामलों और हालात की जानकारी तथा इस्लामी जगत की स्थिति की जानकारी रखने को ज़रूरी क़रार दिया और कहा कि हज के दिन क़ौमों और मसलों की जानकारी का बड़ा अच्छा मौक़ा हैं कि इस तरह इंसान झूठे मीडिया और न्यूज़ एजेंसियों की झूठी ख़बरों के प्रवाह में बहकर सच्चाई से दूर होने से ख़ुद को बचा सकता है।

उनका कहना था कि अगर हम दुनिया के हालात की ओर से जागरुक रहेंगे तो दुश्मन के लक्ष्य और कुछ चीज़ों पर उसके आग्रह के पीछे छिपी नीयत को समझ सकेंगे, जैसा कि बहुत से मामलों में हमारे अधिकारी भरपूर तरीक़े से जागरुक थे तो बहुत से क्षेत्रीय व वैश्विक मामलों में ईरान को अच्छी कामयाबी मिली और अमरीका तिलमिला कर रह गया, यह पूरी तरह सचेत रहने का नतीजा है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एक अहम प्वाइंट की ओर इशारा करते हुए कहा कि सभ्य होने का दावा करने वाले पश्चिमी मुल्क जो हक़ीक़त में सभ्यता से पूरी तरह दूर हैं, आज भी काले-गोरे और यूरोपीय व ग़ैर यूरोपीय होने की नस्ल परस्ती में ग्रस्त हैं कि जिनकी नज़र में उनके पालतू जानवर भी कुछ इंसानों से बहुत बेहतर हैं, शरणार्थियों के समंदर में डूबने की लगातार घटनाओं से इस हक़ीक़त का पता चलता है।

उनका कहना था कि हज में हर नस्ल, इतिहास और संस्कृति के लोग एक जैसे रंग में रंगे नज़र आते हैं जो हज के रहस्यों का हिस्सा है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मस्जिदुल हराम और मस्जिदुन्नबी में जमाअत की नमाज़ में ईरानी हाजियों के शरीक होने तथा दूसरे हाजियों से संपर्क बनाने पर बल दिया। उनका कहना था कि सामूहिक तौर पर दुआए कुमैल पढ़ना भी बहुत अच्छा है और मुशरिकों से बेज़ारी के एलान का प्रोग्राम भी हज का बहुत ही गहराइयों वाला अमल है जिसे जारी रहना चाहिए।
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में हज संस्था में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम सैयद अब्दुल फ़त्ताह ने हज के बारे में की गयी तैयारियों पर ब्रीफ़िन्ग थी।
 

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