۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा  पुनरुत्थान की ओर ध्यान व्यक्ति को बुरे कर्मों से रोकता है और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَاتَّقُوا يَوْمًا تُرْجَعُونَ فِيهِ إِلَى اللَّـهِ ۖ ثُمَّ تُوَفَّىٰ كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ  वत्तक़ू यौमन तुरजऊना फीहे एलल्लाहे सुम्मा तुवफ़्फ़ा कुल्लो नफ़्सिम मा कसाबत वहुम ला युज़लमूना (बकरा, 281)

अनुवाद: और उस दिन (अज़ाब और रुसवाई) से डरो। जिस दिन वे अल्लाह की ओर लौटाये जायेंगे, और फिर जिसने कुछ (अच्छा या बुरा) किया होगा। उसका इनाम उसे पूरा दिया जाएगा। और  उनके साथ अन्याय नहीं किया जाएगा।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  पुनरुत्थान वह दिन है जब मनुष्य अल्लाह तआला के पास लौट आता है।
2️⃣  इंसान का आदि और अंत अल्लाह ही है।
3️⃣  मनुष्य के सांसारिक कर्म बने रहेंगे और अविनाशी हैं।
4️⃣  क़यामत के दिन पर ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति बुरे कर्म करने से बचता है और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित होता है।


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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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