۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / नबियों से संबंधित होना और उनके वंश से होना पुनरुत्थान के दिन प्रभावी नहीं होगा और किसी के कार्यों के परिणामों से मुक्ति नहीं दिलाएगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَقَالُوا كُونُوا هُودًا أَوْ نَصَارَىٰ تَهْتَدُوا ۗ قُلْ بَلْ مِلَّةَ إِبْرَاهِيمَ حَنِيفًا ۖ وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِينَ    वा क़ालू कूनू हूदन ओ नसारा तहतदू क़ुल बल मिल्लता इब्राहीमा हनीफ़ा, वमा काना मिनल मुशरेकीना (बकरा 135)

अनुवादः और वे (यहूदी और ईसाई) कहते हैं कि यहूदी या ईसाई बन जाओ ताकि तुम मार्ग पा सको। (ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कह दो कि (नहीं), बल्कि हम इबराहीम (अ.स.) की क़ौम से हैं, जो एकजुट थे और बहुदेववादियों में से नहीं थे।

कुरआन की तफसीर:

1️⃣  सभी मनुष्य, यहां तक ​​कि महान पैगम्बर (अ), इस दुनिया में नहीं रहे और सभी को परलोक की यात्रा करनी होगी।
2️⃣  नबियों (अ) के अच्छे कामों का पुरस्कार उन्हें आवंटित किया जाता है।
3️⃣  नबियों से संबंधित होना और उनकी पीढ़ी से होना क़यामत के दिन प्रभावी नहीं होगा, न ही यह किसी के कार्यों के परिणामों से मुक्ति दिलाएगा।
4️⃣  प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक राष्ट्र को उनके अपने अच्छे कर्मों के पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा।
5️⃣  हर इंसान और हर समाज के कर्मों का फल उनसे जुड़ा होता है और उन्हीं को लौटना चाहिए।
6️⃣  प्रत्येक समाज और राष्ट्र का एक जीवन और मृत्यु और एक स्थायी व्यक्तित्व होता है।
7️⃣  मनुष्य अपने पूर्वजों के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं है, और न ही उनके कारण उन पर अभियोग लगाया जाएगा।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए बकरा
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