हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 30 जनवरी को मुजद्दिद अल-शरिया आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद दिलदार अली नक़वी के निधन दिवस की पूर्व संध्या पर मुम्बई शहर में स्थित बांद्रा की जामिया मस्जिद में एक शोक सभा आयोजित की गई जिसे शहर के प्रसिद्ध खतीब हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद मुहम्मद जकी हसन साहब ने संबोधित किया।
उन्होंने हज़रत गुफ़रनमाब की सेवाओं का उल्लेख करते हुए उनके अग्रणी कार्यों का भी उल्लेख किया और इन मूल्यवान सेवाओं के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का भी वर्णन किया।
शोक सभा के संबोधित कर्ता ने बताया कि कैसे भारत के पहले मुजतहिद हजरत गफरानमाब ने इस देश में शिया धर्म की नींव को मजबूत किया और इस इस्लामी संप्रदाय को बाकी संप्रदायों के बीच अपनी पहचान दिलाई।
मौलाना ने बताया कि कैसे हजरत गुफरानमाब ने नमाजे जमात और फिर नमाज़े जुमा की स्थापना करके शिया लोगों को एक मंच पर लाया और यह भी बताया कि कैसे दिवंगत गुफरानमाब ने सैयद अल-शोहदा (अ) के लिए शोक को बढ़ावा दिया और इसे सूफी रीति-रिवाजों से परिचित कराया।