मंगलवार 12 मार्च 2024 - 11:21
पैग़म्बरों पर ईमान न लाना और उनकी मदद न करना अनैतिकता है

हौज़ा / धर्म के मूल से हटकर, हर समय पैगंबरों का विरोध करना और अन्य धर्मों की ओर झुकाव करना फ़िक़्ह है। ईश्वरीय वाचा को तोड़ना अपराध है और उल्लंघन करने वाला अपराध है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
فَمَن تَوَلَّىٰ بَعْدَ ذَٰلِكَ فَأُولَٰئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ  फ़मन तवल्ला बादा ज़ालेका फ़उलाएका होमुल फ़ासेक़ून (आले-इमरान, 82)।

अनुवाद: अब जो कोई इस (संधि) से विमुख हो, वही लोग अवज्ञाकारी हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ पैगम्बरों पर ईमान न लाना और उनकी मदद न करना अनैतिकता है।
2️⃣ धर्म का केंद्र छोड़कर हर युग में पैगम्बरों का विरोध करना और दूसरे धर्मों की ओर झुकना फ़िक़्ह है।
3️⃣ ईश्वरीय वाचा को तोड़ना अपराध है और उल्लंघन करने वाला अपराध है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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