۱۳ آذر ۱۴۰۳ |۱ جمادی‌الثانی ۱۴۴۶ | Dec 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / पैगंबर (स) का विरोध करना अल्लाह के प्यार का विरोध करना है। प्यार और दोस्ती इंसान में काम करने का जुनून पैदा करती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قُلْ إِن كُنتُمْ تُحِبُّونَ اللَّـهَ فَاتَّبِعُونِي يُحْبِبْكُمُ اللَّـهُ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ ۗ وَاللَّـهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ   क़ुल इन कुनतुम तोहिब्बूनल्लाहा फ़त्तबेऊनी योहबिबकोमुल्लाहो वा यग़फ़िर लकुम ज़ोनूबकुम वल्लाहो ग़फ़ूरुन रहीम (आले-इमरान, 31)
अनुवाद: (ऐ रसूल! उन लोगों से जो मेरे प्यार का दावा करते हैं) कह दो कि अगर तुम्हें खुदा से (सच्चा) प्यार है तो मेरे पीछे हो लो। खुदा भी तुमसे मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को माफ कर देगा और खुदा माफ करने वाला, दयालु है।

कुरआन की तफसीर:

1️⃣ पैगंबर (स) को आदेश दिया गया है कि जो लोग अल्लाह से प्यार करते हैं उन्हें अपने पीछे चलने के लिए बुलाएं।
2️⃣ जो लोग अल्लाह से सच्चा प्यार करते हैं वे पैगंबर के अनुयायी और विषय हैं।
3️⃣ सच्चे प्यार के लिए अपनी अनिवार्यताओं का पालन करना आवश्यक है।
4️⃣ पैगंबर (स) का विरोध करना अल्लाह के प्यार का विरोध करना है।
5️⃣ प्यार और दोस्ती इंसान में कर्म करने का जुनून पैदा करती है।
6️⃣ व्यक्ति का चरित्र उसकी आंतरिक प्रवृत्तियों एवं प्रवृत्तियों को दर्शाता है।
7️⃣ दिव्य नेताओं की संरक्षकता और संरक्षकता के प्रति आश्वस्त होने और उनका पालन करने का महत्व।
8️⃣ अल्लाह तआला की मुहब्बत पाना ही दीन और परहेज़गारी का अंतिम लक्ष्य है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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